नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश भर में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामलों में संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। मुख्य निर्देशों में अन्य उपायों के अलावा 15 दिन की अग्रिम सूचना जारी करना, प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग करना और स्पॉट रिपोर्ट को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना शामिल है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के यह दिशा-निर्देश तब लागू नहीं होंगे जब अनधिकृत संरचना सार्वजनिक सड़क, रेलवे लाइन, या जल निकाय पर है या किसी अदालत द्वारा विध्वंस का आदेश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर एक्शन का एकतरफा फैसला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी अधिकारी मनमाने तरीके से इस एक्शन में हिस्सा लेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगर किसी मामले में आरोपी एक है तो उसका घर तोड़कर पूरे परिवार को सजा नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि घर एक सपने की तरह होता है। व्यक्ति एक घर को बनाने में अपनी जिंदगी की पूरी पूंजी लगाता है। सरकार या अधिकारी आरोपी के मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हो सकते। सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। अपराध की सजा उसका घर तोड़ना नहीं है, बल्कि उसे व्यक्तिगत स्तर पर दंड दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों में क्या कहा
- केवल अनाधिकृत और समझौता योग्य नहीं पाई गई संरचनाओं को ही ध्वस्त किया जाएगा।
- मालिक को अग्रिम सूचना दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। नोटिस को उस मकान पर भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
- कारण बताओ नोटिस 15 दिन पहले जारी किया जाना चाहिए।
- नोटिस में विध्वंस का कारण और सुनवाई की तारीख अवश्य बताई जानी चाहिए।
- नोटिस का विवरण और संरचना के पास सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित होने की तारीख प्रदान करने के लिए तीन महीने के भीतर एक डिजिटल पोर्टल बनाया जाना चाहिए।
- आदेश में स्पष्ट होना चाहिए कि विध्वंस करने का कदम क्यों आवश्यक है।
- मालिक/कब्जाधारी को अनधिकृत निर्माण हटाने की अनुमति देने के लिए आदेश प्राप्ति की तारीख से 15 दिनों तक लागू नहीं किया जाएगा।
- व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख दी जानी चाहिए और सुनवाई में मालिक की दलीलें दर्ज होनी चाहिए।
- इसे यह भी निर्धारित करना होगा कि क्या अपराध समझौता योग्य है या आंशिक विध्वंस संभव है।
- बैकडेटिंग को रोकने के लिए नोटिस जारी होते ही कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट को एक ऑटो-जेनरेटेड ईमेल भेजा जाना चाहिए।
- सभी जिलाधिकारियों को ईमेल आईडी बनानी होगी।
- एक विस्तृत स्पॉट रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए और पुलिस और उपस्थित अधिकारियों सहित विध्वंस की विस्तृत वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए।
- रिपोर्ट पोर्टल पर प्रदर्शित होनी चाहिए।
- इन निर्देशों का उल्लंघन करने पर अवमानना या अन्य कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
- इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होने पर संबंधित अधिकारियों को संपत्ति की बहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।