नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। शुक्रवार को शुरू हुई हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और 138 लोग गिरफ्तार किए गए। मृतकों में एक पिता-पुत्र हरगोबिंद दास और चंदन दास शामिल हैं, जिन्हें शनिवार को भीड़ ने कथित तौर पर मार डाला, जबकि एक अन्य प्रदर्शनकारी इजाज अहमद शेख पुलिस की गोलीबारी में मारा गया। इस हिंसा में 18 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग के हवाले कर दिया, सुरक्षा बलों पर पथराव किया और सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। इसके बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शनिवार को केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि वह राज्य के कुछ जिलों में तोड़फोड़ की खबरों पर आंखें बंद नहीं कर सकता और स्थिति को ‘गंभीर और अस्थिर’ करार दिया।
मुर्शिदाबाद में बीएसएफ की 300 टुकड़ियां तैनात
मुर्शिदाबाद के सुति और शमशेरगंज जैसे संवेदनशील इलाकों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की लगभग 300 टुकड़ियों के अलावा, राज्य सरकार के अनुरोध पर पांच और कंपनियां तैनात की गई हैं। शनिवार को पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और अफवाहों को हिंसा का मुख्य कारण बताया, साथ ही सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति की अपील करते हुए कहा कि यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है और उनकी सरकार इसे राज्य में लागू नहीं करेगी। उन्होंने राजनीतिक दलों पर धर्म का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया।
शुभेंदु अधिकारी ने एनआईए से जांच कराने की मांग
दूसरी ओर, भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग की, जबकि भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजुमदार ने ममता बनर्जी की “तुष्टिकरण नीति” को जिम्मेदार ठहराया। कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को 17 अप्रैल तक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इस बीच, प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए छापेमारी जारी है। यह घटना वक्फ अधिनियम को लेकर देशभर में चल रहे विवाद का हिस्सा है।