26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा की प्रत्यर्पण रोकने की याचिका अमेरिकी अदालत ने खारिज की

नई दिल्ली। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की भारत को प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान इसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी।

इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने आवेदन में, राणा ने दावा किया कि अगर उसे प्रत्यर्पित किया जाता है तो भारत में उसे प्रताड़ित किया जाएगा क्योंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है। फरवरी में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प ने घोषणा की कि उनके प्रशासन ने राणा को भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है।

ट्रम्प के इस फैसले के बाद जनवरी में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया, जिससे उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया। 2011 में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मुंबई में प्रमुख स्थानों पर चार दिनों तक हुए आतंकवादी हमलों की सीरीज की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के लिए राणा और आठ अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।

कौन है तहव्वुर राणा?

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का एक कनाडाई व्यापारी है, जो शिकागो में रह रहा था। उस पर आरोप है कि उसने 2008 के मुंबई हमलों की साजिश रचने में लश्कर-ए-तैयबा और उसके साथी डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। इस आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। राणा पर भारत में आतंकवाद, हत्या और साजिश के कई गंभीर आरोप हैं।

भारत की प्रतिक्रिया

इस फैसले पर भारत सरकार ने संतोष जाहिर किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम अमेरिकी न्याय प्रणाली का सम्मान करते हैं और इस फैसले का स्वागत करते हैं। तहव्वुर राणा को भारत लाकर उसके खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया शुरू करना हमारे लिए प्राथमिकता है।” भारत ने राणा के खिलाफ गवाहों और सबूतों का विस्तृत दस्तावेज भी अमेरिकी अदालत को सौंपा था, जिसमें उसके और हेडली के बीच हुई बातचीत और वित्तीय लेनदेन का ब्यौरा शामिल था।

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