अमेरिका में बने iPhone की कीमत तीन गुना अधिक, 3 लाख रुपये तक हो सकती है: रिपोर्ट

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हाल ही में घोषित टैरिफ नीति ने तकनीकी दुनिया में हलचल मचा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आईफोन का निर्माण पूरी तरह से अमेरिका में किया जाए, तो इसकी कीमत मौजूदा स्तर से तीन गुना तक बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि भारत में एक आईफोन की कीमत 3 लाख रुपये तक पहुंच सकती है।

यह अनुमान ट्रम्प के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें उन्होंने चीन से आयातित सामानों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को उत्पादन अपने देश में लाने के लिए प्रेरित करना है, लेकिन इससे लागत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। वर्तमान में, आईफोन का अधिकांश उत्पादन चीन में होता है, जहां कम श्रम लागत और स्थापित आपूर्ति श्रृंखला के कारण निर्माण सस्ता पड़ता है।

भारत में आईफोन 16 प्रो मैक्स की कीमत 3 लाख तक

एक विश्लेषक के अनुसार, यदि उत्पादन अमेरिका में स्थानांतरित होता है, तो श्रम लागत में पांच गुना और घटकों की कीमत में दो से तीन गुना वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए, जहां अभी एक आईफोन 16 प्रो मैक्स की उत्पादन लागत करीब 558 डॉलर (लगभग 47,000 रुपये) है, वहीं अमेरिका में यह 1200 से 1500 डॉलर (1 लाख से 1.25 लाख रुपये) तक हो सकती है। खुदरा मार्जिन जोड़ने पर इसकी कीमत 2000 डॉलर (लगभग 1.7 लाख रुपये) तक जा सकती है। भारत में आयात शुल्क और जीएसटी के साथ यह 3 लाख रुपये तक पहुंच सकता है।

रोबोटिक्स और एआई के इस्तेमाल से श्रम लागत होगी कम

ऐपल ने हाल के वर्षों में भारत में उत्पादन बढ़ाया है, जो अब इसके वैश्विक निर्यात का 70 प्रतिशत हिस्सा है। लेकिन पूर्ण अमेरिकी उत्पादन की स्थिति में भारत जैसे बाजारों में कीमतों पर भारी असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में रोबोटिक्स और एआई के इस्तेमाल से श्रम लागत कम हो सकती है, फिर भी लागत चीन और भारत की तुलना में 50-100 प्रतिशत अधिक होगी। इससे ऐपल के लिए कीमतों को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।

ऐपल स्टॉक में पिछले हफ्ते 9 प्रतिशत की गिरावट

इस नीति से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर पड़ेगा। ऐपल स्टॉक में पिछले सप्ताह 9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी थी। भारत में उपभोक्ताओं के लिए यह चिंता का विषय है, क्योंकि पहले से ही आईफोन की ऊंची कीमतें उनकी पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। यदि यह नीति लागू होती है, तो ऐपल को या तो लागत खुद वहन करनी होगी या ग्राहकों पर बोझ डालना होगा, जिससे उसकी बिक्री प्रभावित हो सकती है। आने वाले महीनों में इस फैसले के प्रभाव स्पष्ट होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *