नई दिल्ली। बांग्लादेश में फैली अशांति के मद्देनजर देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया है। समाचार एजेंसी एएफपी द्वारा अस्पतालों द्वारा बताई गई मृतकों की संख्या के अनुसार, छात्र प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों में कम से कम 105 लोगों की मौत हो गई है। छात्र नौकरियों पर सरकार की मौजूदा कोटा नीति में सुधार की मांग कर रहे हैं। बांग्लादेश में लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना के लिए सबसे कठिन राजनीतिक चुनौती है।
टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्रों को मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए बातचीत के लिए आमंत्रित किया। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट नहीं है कि छात्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे या नहीं। व्यापक हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए देशभर में सेना की तैनाती की गई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि यह देश का आंतरिक मामला है। हालांकि, 8,500 छात्रों सहित लगभग 15,000 भारतीय वर्तमान में बांग्लादेश में रह रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, सभी सुरक्षित हैं। सरकार ने अब तक 125 छात्रों सहित 245 भारतीय नागरिकों की वापसी की सुविधा प्रदान की है।
प्रदर्शनकारियों ने जेल पर बोला धावा
एक पुलिस अधिकारी ने एएफपी को बताया कि छात्र प्रदर्शनकारियों ने मध्य बांग्लादेश के नरसिंगडी जिले की एक जेल पर धावा बोल दिया और आग लगाने से पहले सैकड़ों कैदियों को रिहा कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं कैदियों की संख्या नहीं जानता, लेकिन यह सैकड़ों में होगी।” प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि बांग्लादेश सरकार 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले लोगों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों को अलग करना बंद करे।
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने कहा है कि राज्य के 63 छात्र बांग्लादेश से सुरक्षित लौट आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह बांग्लादेश में और अधिक छात्रों को वहां से निकालने के लिए भारतीय उच्चायोग के साथ लगातार संपर्क में हैं।