कांवड़ यात्रा: योगी सरकार का फरमान, दुकानों पर अनिवार्य रूप से लगानी होगी मालिकों की नेमप्लेट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी दुकानों और खाने-पीने के प्रतिष्ठानों को अपने मालिकों का नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया है। यह निर्णय यात्रियों की आस्था की शुद्धता बनाए रखने और भ्रम से बचने के लिए लिया गया है। यह आदेश 2024 में मुरादाबाद पुलिस द्वारा शुरू किए गए एक निर्देश के बाद फिर से लागू किया गया है, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया था। इस बार, योगी सरकार ने इसे पूरे राज्य में लागू करने का फैसला किया है।

22 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। इस दौरान करीब 3 करोड़ कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल लाकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। योगी ने कहा कि यह आदेश यात्रियों की भावनाओं का सम्मान करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए है। उत्तराखंड पुलिस ने भी इसी तरह का आदेश जारी किया है, जिसमें दुकानों पर मालिक का नाम, क्यूआर कोड और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य है।

इस आदेश का विरोध विपक्षी दलों ने किया

इस आदेश का विरोध विपक्षी दलों ने किया है। कांग्रेस और सपा ने इसे सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला बताया, जबकि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 17 और 21 का उल्लंघन करार दिया। बीजेपी के सहयोगी दलों जैसे जेडीयू और RLD ने भी इसकी आलोचना की। हालांकि, RSS से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इस आदेश का समर्थन किया और कांवड़ियों का स्वागत करने का वादा किया।

2024 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे आदेश पर लगाया था रोक

2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि दुकानें केवल खाने की जानकारी प्रदर्शित करें। इस बार सरकार ने दावा किया है कि यह कदम किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि यात्रा की शांति के लिए है। फिर भी, यह मुद्दा सामाजिक और राजनीतिक विवाद का केंद्र बना हुआ है।

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