हिमाचल और उत्तराखंड में मानसून का कहर: 78 मरे, 31 लापता; भूस्खलन और बाढ़ से तबाही

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मानसून की भारी बारिश ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें 78 लोगों की मौत हो चुकी है और 31 लोग लापता हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हिमाचल के कांगड़ा, सिरमौर और मंडी जिलों में अत्यधिक भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट और अन्य जिलों में भारी बारिश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 20 जून से शुरू हुए मानसून ने दोनों राज्यों में भूस्खलन, बादल फटने और अचानक बाढ़ से सामान्य जनजीवन को ठप कर दिया है।

हिमाचल में 50 मौतें बारिश से संबंधित घटनाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने से हुईं, जबकि 28 सड़क हादसों में हुईं। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 17 लोगों की मौत हुई और 40 लापता हैं। शिमला के ढली में भूस्खलन से सेब के सैकड़ों पेड़ दब गए, और पांच घरों को खतरा है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 700 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है, जिसमें सड़कें, बिजली और पानी की योजनाएं प्रभावित हुई हैं। मंडी में सुकेती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है और चंडीगढ़-मनाली राजमार्ग पर कई जगह भूस्खलन हुआ है।

उत्तराखंड में 70 लोगों की मौत

उत्तराखंड में 70 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें 20 प्राकृतिक आपदाओं और 50 सड़क हादसों में हुईं। रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने से मंदिर और शिव की मूर्तियां डूब गईं। हरिद्वार और देहरादून में गंगा और अन्य नदियों के बढ़ते जलस्तर ने बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है। चारधाम यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), और सेना बचाव कार्यों में जुटी है। हिमाचल में 99 लोगों को बचाया गया, लेकिन खराब मौसम ने अभियानों को मुश्किल बना दिया है। केंद्र सरकार ने प्रभावित राज्यों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से नदियों और भूस्खलन वाले क्षेत्रों से दूर रहने की अपील की है।

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