नई दिल्ली। प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने कहा कि छठ पूजा के पहले दिन उनकी मां की मृत्यु से उनके परिवार और उनके चाहनेवालों के लिए एक दुखद समय है। अंशुमन ने कहा कि वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी। उन्होंने कहा कि उनके पार्थिव शरीर को बुधवार सुबह अंतिम संस्कार के लिए पटना ले जाया जाएगा।
बिहार की लोक गायिकी की प्रतीक शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को निधन हो गया था। 72 वर्षीय शारदा सिन्हा 2018 से मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का रक्त कैंसर) से लड़ रही थीं। अपनी मां की मृत्यु के बारे में बात करते हुए अंशुमन ने कहा, “यह हमारे लिए दुखद समय है। वह बहुत करीब थीं। उनकी गायिकी ने हम सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। यह उनके सभी चाहनेवालों के लिए एक सदमा है। मुझे यकीन है कि उनके चाहने वाले भी मेरे जैसे ही दुखी होंगे। उनका मातृत्व उनके गीतों में भी दिखाई देता था। वह छठ पूजा के पहले दिन हमें छोड़कर चली गईं। वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी।”
निधन से पहले जारी किया गाना
आगे उन्होंने शारदा के अंतिम संस्कार के बारे में भी बात की और कहा, “हमने फैसला किया है कि मेरी मां (शारदा सिन्हा) का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होगा जहां मेरे पिता का अंतिम संस्कार किया गया था। इसलिए, हम उनके पार्थिव शरीर को पटना ले जाएंगे।” इस बीच, सिन्हा का आखिरी प्री-रिकॉर्डेड गाना ‘दुखवा मिटायिन छठी मईया’ छठ 2024 से पहले 4 नवंबर को रिलीज किया गया था।
2018 में पद्म भूषण से किया गया था सम्मानित
शारदा सिन्हा, जिन्हें प्यार से ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय लोक गायिका थीं, जिन्हें भोजपुरी, मैथिली और मगही संगीत में उनके अपार योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने बिहार के पारंपरिक संगीत को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके सबसे लोकप्रिय गानों में केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके, हे छठी मईया, हो दीनानाथ, बहंगी लचकत जाए, रोजे रोजे उगेला, सुना छठी माई, जोड़े जोड़े सुपावा और पटना के घाट पर शामिल हैं। उन्हें 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।