मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में शनिवार को एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला, जब दो दशक बाद शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे एक मंच पर एक साथ आए। मुंबई के वरली में एनएससीआई डोम पर सुबह 10 बजे आयोजित ‘मराठी विजय रैली’ में मराठी भाषा और पहचान को बचाने के लिए दोनों भाइयों ने एकजुटता दिखाई। यह रैली महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रिभाषी नीति को वापस लेने के फैसले का जश्न मनाने के लिए थी, जिसका ठाकरे भाइयों ने मिलकर विरोध किया था।
रैली का कारण था सरकार का स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य करने का प्रस्ताव। उद्धव और राज ठाकरे ने इस नीति का कड़ा विरोध किया, जिसके चलते महायुति सरकार को 29 जून को दो सरकारी आदेश (जीआर) वापस लेने पड़े। इस जीत को ‘मराठी मन की जीत’ बताते हुए, रैली में मराठी साहित्यकार, कवि, शिक्षक, संपादक और कलाकारों के साथ हजारों मराठी प्रेमी शामिल हुए। रैली में किसी भी पार्टी का झंडा या निशान नहीं था, सिर्फ महाराष्ट्र का नक्शा और ‘मराठियों की आवाज’ थीम थी।
मराठी मां की रक्षा के लिए एकजुट हैं: उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में कहा, “मराठी हमारी मां है और इसकी रक्षा के लिए हम एक हैं।” राज ठाकरे ने भी जोश भरे अंदाज में कहा, “मराठी का गौरव हमारा गौरव है, इसे कोई कमजोर नहीं कर सकता।” रैली में मराठी गीत, नाट्य प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने माहौल को और जोशीला बनाया।
यह एकता न सिर्फ मराठी अस्मिता की जीत का प्रतीक बनी, बल्कि ठाकरे भाइयों के बीच पुरानी कड़वाहट को भुलाकर एक नई शुरुआत का संदेश भी दे गई। रैली में शामिल लोगों ने इसे महाराष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताया।