नई दिल्ली। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अत्यधिक गरीबी में कमी आई है, लेकिन अभी भी हर चौथा व्यक्ति न्यूनतम जीवन स्तर से नीचे जी रहा है। विश्व बैंक ने अपनी अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा को 2.15 डॉलर से बढ़ाकर 3 डॉलर प्रतिदिन (2021 की कीमतों में) कर दिया है। इसके आधार पर, भारत में अत्यधिक गरीबी 2011-12 में 27.1% से घटकर 2022-23 में 5.3% रह गई है। इसका मतलब है कि 11 साल में लगभग 27 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर निकले हैं। पुरानी 2.15 डॉलर की रेखा पर यह दर और कम, 2.3% है।
लेकिन 3 डॉलर प्रतिदिन का मतलब भारत में करीब 62 रुपये है, जो किराया, भोजन, दवा और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी कम है। अर्थशास्त्री डॉ. विद्या महाम्बरे का कहना है कि 62 रुपये प्रतिदिन आज के खर्चों के हिसाब से अपर्याप्त है। डॉ. स्वप्निल साहू का मानना है कि गरीबी को सिर्फ आय से नहीं मापना चाहिए। उनके अनुसार, 83% भारतीय 171 रुपये प्रतिदिन से कम पर जीते हैं, जो मध्यम आय वाले देशों की गरीबी रेखा (8.40 डॉलर) के बराबर है। साहू का कहना है कि सम्मानजनक जीवन के लिए 250-300 रुपये प्रतिदिन चाहिए।
रिपोर्ट में बताया गया कि सरकारी योजनाएं जैसे मुफ्त राशन, ग्रामीण सड़कें, नकद हस्तांतरण और बिजली तक पहुंच ने गरीबी कम करने में मदद की है। नए सर्वेक्षण (MMRP) ने खर्च को बेहतर ढंग से मापा, जिससे गरीबी के आंकड़े कम दिखे। हालांकि, 2024 में 5.46 करोड़ लोग 3 डॉलर से कम पर जी रहे थे। पांच बड़े राज्यों (उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश) में 54% अत्यधिक गरीब लोग हैं।
कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 3 डॉलर की रेखा सम्मानजनक जीवन के लिए काफी नहीं है और असमानता व भूख जैसी समस्याएं बनी हुई हैं।