नई दिल्ली। जनता दल (यूनाइटेड) ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को पूरा करने के उनके वादे की याद दिलाई है। इससे पहले, सोमवार को केंद्र ने लोकसभा में कहा था कि ऐसी कोई मांग नहीं की गई थी। यह बयान राजग के प्रमुख सदस्य जदयू द्वारा संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले सर्वदलीय बैठक में केंद्र से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग के एक दिन बाद आया है।
मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 2012 में तैयार एक अंतर-मंत्रालयी समूह की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा देने का कोई मामला नहीं बनता है। मंत्री ने आगे कहा कि योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा अतीत में एनडीसी द्वारा कुछ राज्यों को दिया गया था, जिनमें कई विशेषताएं थीं जिन पर विशेष विचार की आवश्यकता थी।
विशेष राज्य का दर्जा के लिए होनी चाहिए यह विशेषता
इन विशेषताओं में पहाड़ी और कठिन भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापन और राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति शामिल हैं। यह निर्णय सूचीबद्ध सभी कारकों और राज्य की विशिष्ट स्थिति पर एकीकृत विचार के आधार पर लिया गया।
बिहार के लिए कोई मामला नहीं बनता
मंत्री ने कहा, “इससे पहले, विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह ने विचार किया था, जिसने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। समूह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर, बिहार के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा का मामला नहीं बनाया गया है।