नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (IAF) का C-17 ग्लोबमास्टर विमान बुधवार को पहली बार कारगिल हवाई पट्टी पर सफलतापूर्वक उतरा। ट्रायल लैंडिंग IAF के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि इससे वायुसेना की भार वहन क्षमता चार गुना से अधिक बढ़ जाएगी।
C-17 की सर्दियों में 25 टन से लेकर 35 टन तक का भार ले जाने की क्षमता होती है। इससे IAF की परिवहन क्षमता को बढ़ेगी, जिससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चौकियों पर सैनिकों और सैन्य आपूर्ति को ले जाना आसान हो जाएगा। इससे पहले, केवल AN-32 और C-130 विमान ही कारगिल हवाई पट्टी पर संचालित होते थे, जिनकी क्षमता क्रमशः 45 टन और 67 टन थी। C-17 की बड़ी क्षमता का मतलब है कि माल परिवहन के लिए कम उड़ानों की आवश्यकता होगी।
वायुसेना ने पहली बार रात में सी-130जे विमान को उतारा था
C-17 ने शुरुआत में दिन में उड़ान भरी, क्योंकि ट्रायल लैंडिंग दिन के उजाले में की गई थी। पिछले साल जनवरी में, भारतीय वायुसेना ने पहली बार रात में अपने परिवहन विमान C-130J को उतारा, उसके बाद फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट ऑपरेशन और गरुड़ कमांडो ने दुश्मन के रडार डिटेक्शन से बचने के लिए टेरेन मास्किंग तकनीक का इस्तेमाल किया।
कारगिल हवाई पट्टी 9700 फीट की ऊंचाई पर है स्थित
वर्तमान में, C-17 श्रीनगर और लेह के एयरबेस से संचालित होते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर अब उन्हें कारगिल से भी तैनात किया जा सकता है। कारगिल हवाई पट्टी 9,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कारगिल युद्ध के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने इस क्षेत्र में भी गोलाबारी की थी। 14,000-15,000 फीट ऊंची पहाड़ियों से घिरी यह हवाई पट्टी परिचालन संबंधी चुनौतियां पेश करती है, लेकिन रक्षा रसद के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है।