नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हालिया टिप्पणियों के बावजूद एप्पल ने भारत सरकार को आश्वस्त किया है कि उसकी भारत में विनिर्माण योजनाओं में कोई बदलाव नहीं होगा। ट्रम्प ने एप्पल के सीईओ टिम कुक से कहा था कि वह भारत में आईफोन उत्पादन बंद करें और अमेरिका में उत्पादन बढ़ाएं।
इसके जवाब में, एप्पल ने भारतीय अधिकारियों को सूचित किया कि भारत उसकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा। कंपनी ने पुष्टि की कि भारत में उसकी निवेश योजनाएं अपरिवर्तित हैं और वह देश को अपने उत्पादों के लिए प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करना चाहती है।
भारत से 1.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के आईफोन निर्यात
पिछले कुछ वर्षों में, एप्पल ने भारत में अपने विनिर्माण आधार को तेजी से विस्तार दिया है। वर्तमान में, कंपनी फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे साझेदारों के माध्यम से लगभग 40 मिलियन आईफोन (कंपनी के वार्षिक उत्पादन का 15%) भारत में असेंबल करती है। वित्त वर्ष 2025 में, भारत से 1.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के आईफोन निर्यात किए गए, जिनमें से 97.6% अमेरिका को भेजे गए। यह निर्यात मार्च 2025 में 219% बढ़ा, जो ट्रम्प के उच्च शुल्कों से बचने की रणनीति को दर्शाता है।
अमेरिकी सामानों पर शून्य शुल्क की पेशकश का भी जिक्र
ट्रम्प ने कतर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “मैं नहीं चाहता कि आप भारत में निर्माण करें। भारत खुद का ख्याल रख सकता है।” उन्होंने भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर शून्य शुल्क की पेशकश का भी जिक्र किया, हालांकि इसका कोई आधिकारिक विवरण नहीं दिया। भारतीय अधिकारियों ने ट्रम्प की टिप्पणियों को कम महत्व देते हुए कहा कि भारत एक प्रमुख मोबाइल विनिर्माण केंद्र बन चुका है, और एप्पल जैसे वैश्विक दिग्गज प्रतिस्पर्धात्मकता के आधार पर भारत में निवेश जारी रखेंगे।
एप्पल की भारत में मौजूदगी ने लगभग 2 लाख नौकरियां सृजित की हैं। कंपनी तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक में फॉक्सकॉन और टाटा के कारखानों के माध्यम से आईफोन और एयरपॉड्स का उत्पादन कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर स्पष्टता के बाद एप्पल का निवेश और बढ़ सकता है।