नई दिल्ली। पिछले साल जुलाई में सियाचिन में आग लगने की घटना के दौरान शहीद गए कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने दावा किया है कि उनकी बहू स्मृति सरकार द्वारा उनके बेटे को मरणोपरांत दिया गया कीर्ति चक्र अपने साथ गुरदासपुर स्थित अपने घर ले गईं।
कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि उनकी बहू ने अपने बेटे के आधिकारिक दस्तावेजों में सूचीबद्ध स्थायी पता भी लखनऊ से गुरदासपुर में बदल दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके बेटे से संबंधित सभी पत्राचार उनके साथ हो।
19 जुलाई 2023 को अंशुमान की मौत की सूचना मिली
रवि प्रताप सिंह ने बताया, “हमने उनकी सहमति के बाद अंशुमान की शादी स्मृति से कर दी। शादी के बाद वह मेरे बेटे के साथ नोएडा में रहने लगीं। 19 जुलाई, 2023 को जब हमें अंशुमान की मौत की सूचना मिली, तो मैंने उन्हें लखनऊ बुलाया और हम उनके लिए अंतिम संस्कार गोरखपुर गए। लेकिन तेहरवी के बाद उसने (स्मृति) गुरदासपुर वापस जाने पर जोर देने लगे।”
उन्होंने कहा, “अगले दिन वह अपनी मां के साथ नोएडा गई और अंशुमन का फोटो एलबम, कपड़े और अन्य सामान अपने साथ ले गई।”
‘कीर्ति चक्र को छू भी नहीं सका’
रवि प्रताप सिंह ने आगे दावा किया कि वह 5 जुलाई को राष्ट्रपति द्वारा अपने बेटे को दिए गए कीर्ति चक्र को भी संभाल नहीं सके। रवि प्रताप सिंह ने कहा, “जब अंशुमान को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया, तो उनकी मां और पत्नी सम्मान लेने गईं। राष्ट्रपति ने मेरे बेटे के बलिदान को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया, लेकिन मैं इसे एक बार भी नहीं छू सका।”
पुरस्कार समारोह को याद करते हुए कैप्टन अंशुमान सिंह की मां मंजू ने कहा, “5 जुलाई को, मैं स्मृति के साथ राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार समारोह में शामिल हुई थी। जब हम कार्यक्रम से निकल रहे थे, तो सेना के अधिकारियों के आग्रह पर, मैंने फोटो के लिए कीर्ति चक्र पकड़ लिया, लेकिन उसके बाद स्मृति ने मेरे हाथ से कीर्ति चक्र ले लिया।”