पवन चोपड़ा, चंडीगढ़। हरियाणा में भाजपा ने इतिहास रच हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार सरकार बनाई है ।वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस ने हार की हैट्रिक लगाई है। ऐसे में जहां भूपेंद्र हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने का आखिरी सपना भी टूट गया वहीं भविष्य में उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है। ऐसे में जिस प्रकार से भाजपा ने पिछले 10 वर्षों से लगातार गैर जाट की राजनीति करते हुए प्रदेश की राजनीति में नई इबारत लिखी है। वहीं अब तीसरे प्लान में भी गैर जाट पर विश्वास जताते हुए उन्हीं के नेतृत्व में यह सारा चुनाव लड़ा गया और अब तीसरी बार सत्ता आने पर फिर से नायब सैनी को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, जिसकी पुष्टि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन बडोली भी कर चुके हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रकार हिंदुत्व, गैर जाट, क्षेत्रवाद, भाई-भतीजावाद, भय, भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी शासन, बिना खर्ची पर्ची के रोजगार ,पोर्टल किसानों सहित अन्य लाभार्थियों के खाते में सीधे पैसे डालके बिचौलियों को खत्म कर भाजपा के लिए बड़ा गेम चेंजर साबित हुआ है। ऐसे में कांग्रेस भी परंपरागत राजनीति को छोड़ते हुए नए सिरे से नॉन जाट चेहरे को आगे करना होगा जिसमें दलित या पंजाबी चेहरा तलाशना होगा।
क्या शैलजा की चुप्पी पड़ी भारी
लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी हुड्डा का टिकट आवंटन में वन मैन शो रहा। जिसकी वजह से कहीं सीटों पर जहां गलत टिकट आवंटन किया गया। वहीं इन सब से नाराज शैलजा सहित भूपेंद्र हुड्डा ने एक दूसरे के समर्थक कैंडिडेंटों की विधानसभा में चुनाव प्रचार से भी परहेज किया। इसके अलावा नारनौंद विधानसभा से एक कांग्रेस समर्थक द्वारा शैलजा पर की गई अभद्र टिप्पणी भी कांग्रेस पर भारी पड़ती नजर आई है क्योंकि इसके बाद जहां सेल जाना राज होकर कोप भवन में चली गई लेकिन उसके कई दिन बाद भी किसी कांग्रेसी द्वारा उसे मनाने की कोशिश नहीं की गई हालांकि जब मुख्य सत्तारूढ़ भाजपा ने शैलजा की नाराजगी को भुनाने की कोशिश करते हुए कांग्रेस पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया।
शैलजा की नाराजगी ने डुबाई नैया
वहीं शैलजा को भाजपा में आने का न्योता तक दे डाला। हालांकि शैलजा ने इन सभी बातों को नकारते हुए कहा कि वे आखिरी सांस तक कांग्रेस में रहेंगे और उनका पार्थिव शरीर भी कांग्रेस के झंडे में लिपट कर ही जाएगा। इसके बाद जहां भूपेंद्र हुड्डा ने शैलजा के पक्ष में बोलते हुए कहा कि वह हमारी बहन है और पार्टी के सम्मानित नेता हैं ऐसे किसी भी नेता और कार्यकर्ता की पार्टी में जगह नहीं है। जो कि उनके खिलाफ किस प्रकार की टिप्पणी करेगा वही इस सब को देखते हुए कांग्रेसी कमान ने भी सारे मामले को अपने हाथ में लिया और अंबाला में हुई एक रैली के दौरान शैलजा और हुड्डा दोनों के आपस में हाथ मिलवाकर प्रदेश की जनता में यह संदेश देने का काम किया कि कांग्रेस में सब ठीक-ठाक है।
हुड्डा के होते किस किस दिग्गज ने छोड़ी पार्टी
2005 मे भजन लाल के नेतृत्व में हरियाणा कांग्रेस ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन उसके बावजूद हाई कमान द्वारा भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया गया था।इसके नाराज हो भजनलाल और उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से अलग पार्टी बनाई थी। हालंकि उन्होंने कांग्रेस में विलय कर लिया था और अब फिर से कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में है। जहां बीते उपचुनाव में उनका बेटा भव्य बिश्नोई की आदमपुर सीट से भाजपा की टिकट पर विधायक बना था जो कि इस बार हार गया है।
अशोक तंवर भी हुड्डा से नाराज होकर छोड़े थे कांग्रेस
इसी प्रकार गुड़गांव लोकसभा से भाजपा की टिकट पर लगातार तीसरी और पांच बार के सांसद केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी हुड्डा से नाराज होकर भाजपा में चले गए थे। जो कि आज तक भाजपा के लिए हर चुनाव में तुरप का इक्का साबित हो रहे हैं। इस बार भी अहीरवाल में उनका जादू जमकर चला। इसके अलावा भिवानी सीट से लगातार तीसरी बार भाजपा के सांसद भी कांग्रेस से भाजपा में गए थे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर भी हुड्डा से नाराज होकर ही कांग्रेस छोड़ गए थे।
अजय यादव ने भी पार्टी के सभी पदों से दिया था इस्तीफा
हालांकि उन्होंने भी चंद दिनों पहले ही कांग्रेस में घर वापसी की है। इसके अलावा पूर्व मंत्री निर्मल सिंह भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस में वापसी की है और अभी भी अंबाला से विधायक बन चुके हैं। जबकि बीते लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद छह बार के विधायक कैप्टन अजय यादव भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर घर बैठ गए थे।
इसके अलावा तेज दरार महिला नेत्री पूर्व मंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी भी हाल ही में उनकी पुत्री श्रुति चौधरी का भिवानी लोकसभा सीट से टिकट काटने पर पार्टी को अलविदा कह चुकी है जहां उन्हें आप भाजपा में राज्यसभा सांसद बनाया गया है वहीं उनकी बेटी श्रुति तोशाम सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक बन गई है। वही किरण का प्रभाव के चलते ही भाजपा भिवानी में जबरदस्त प्रदर्शन कर पाई है। इसके अलावा कई अन्य नेता भी कांग्रेस को अलविदा कह चूके हैं। इनमें से ज्यादातर नेताओं का अपने क्षेत्र और प्रदेश बड़ा प्रशंसक वर्ग था। जो कि कहीं ना कहीं भाजपा क लिए फायदे का सौदा साबित हुआ है।