सुप्रीम कोर्ट ने छात्र द्वारा किए जा रहे आत्महत्याओं पर रोक लगाने के लिए जारी किए 15 बिंदुओं वाले दिशा-निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में बढ़ती छात्र आत्महत्याओं को रोकने के लिए 15 बिंदुओं वाले राष्ट्रीय दिशानिर्देश जारी किए। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा, काउंसलर की नियुक्ति और नियामक ढांचे को अनिवार्य किया।

यह फैसला विशाखापट्टनम में 14 जुलाई 2023 को एक 17 वर्षीय नीट उम्मीदवार की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में आया, जिसके पिता ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के सीबीआई जांच से इनकार के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी।

परीक्षा में असफलता के बाद आत्महत्याएं

कोर्ट ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2022 के आंकड़ों का हवाला दिया, जिसमें 1,70,924 आत्महत्याओं में से 7.6% (लगभग 13,044) छात्र आत्महत्याएं थीं, जिनमें 2,248 परीक्षा में असफलता के कारण थीं। कोर्ट ने इसे शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र में गहरी संरचनात्मक खामी बताया।

दिशानिर्देशों में सभी शैक्षणिक संस्थानों (स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर, हॉस्टल) को एकसमान मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनाने, 100 से अधिक छात्रों वाले संस्थानों में काउंसलर नियुक्त करने और छोटे संस्थानों को बाहरी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क स्थापित करने का आदेश दिया गया।

आवासीय संस्थानों में सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्देश

आवासीय संस्थानों में छेड़छाड़-रोधी पंखे और छतों, बालकनियों तक पहुंच सीमित करने जैसे सुरक्षा उपाय अनिवार्य किए गए। कोचिंग सेंटरों को शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर बैच अलग करने, सार्वजनिक शर्मिंदगी या अनुचित शैक्षणिक लक्ष्य थोपने से मना किया गया।

कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो महीने में निजी कोचिंग सेंटरों के लिए पंजीकरण और शिकायत निवारण तंत्र लागू करने का निर्देश दिया। केंद्र को 90 दिनों में अनुपालन हलफनामा दाखिल करना होगा।

ये दिशानिर्देश “उम्मीद” मसौदा, “मनोदर्पण” पहल और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरित हैं। कोटा, जयपुर, दिल्ली जैसे कोचिंग हब में विशेष मानसिक स्वास्थ्य उपाय लागू होंगे। अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी

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