रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई दुर्ग जिले के भिलाई में बघेल परिवार के साझा आवास पर छापेमारी के बाद हुई। ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत ताजा सबूतों के आधार पर यह कदम उठाया। जांच एजेंसी ने चैतन्य को इस घोटाले के अपराध की आय का प्राप्तकर्ता माना है, जिसमें 2019 से 2022 के बीच 2,161 करोड़ रुपये की हेराफेरी का दावा है।
ईडी ने इससे पहले मार्च 2025 में भी चैतन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 30 लाख रुपये नकद, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दस्तावेज जब्त किए गए थे। इस बार छापे के दौरान भारी पुलिस बल तैनात था और कुछ कांग्रेस समर्थक घर के बाहर जमा हुए। भूपेश बघेल ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया और दावा किया कि छापे का समय विधानसभा सत्र के आखिरी दिन से मेल खाता है, जब वह रायगढ़ के तमनार में अडानी समूह की कोयला खदान के लिए पेड़ कटाई का मुद्दा उठाने वाले थे।
सिंडिकेट के लाभार्थियों को 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई
ईडी के अनुसार, यह घोटाला भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ, जिसमें शराब व्यापार में अनियमितताएं, अवैध कमीशन और नकली होलोग्राम का उपयोग शामिल था। घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों को 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई। जांच में पूर्व मंत्री कवासी लाखमा, रायपुर मेयर के भाई अनवर ढेबर और पूर्व आईएएस अनिल तुतेजा सहित कई लोग पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।
कांग्रेस ने इन छापों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया, जबकि बीजेपी समर्थकों ने इसे कानूनी कार्रवाई करार दिया। भूपेश बघेल ने दावा किया कि ईडी को कोई ठोस सबूत नहीं मिला और यह कार्रवाई उन्हें डराने की कोशिश है। छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक आते ही यह मामला सियासी तूल पकड़ रहा है।