नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पूर्व निदेशक संजय कुमार मिश्रा को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति सचिव स्तर की है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंजूरी दी है।
1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी मिश्रा ने ईडी के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच की थी, जिसके कारण वह चर्चा में रहे। उनकी यह नई जिम्मेदारी देश की आर्थिक नीतियों को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
विपक्ष ने ‘राजनीतिक दुरुपयोग’ का आरोप लगाया
संजय कुमार मिश्रा का ईडी में कार्यकाल विवादों और उपलब्धियों से भरा रहा। उन्हें अक्टूबर 2018 में अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसके बाद नवंबर 2018 में उन्हें पूर्णकालिक निदेशक बनाया गया। शुरू में दो साल के लिए नियुक्त मिश्रा को केंद्र सरकार ने कई बार सेवा विस्तार दिया, जिसे लेकर विपक्ष ने ‘राजनीतिक दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था।
मिश्रा ने कई विपक्षी नेताओं की जांच को बढ़ाया आगे
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2023 में उनके तीसरे विस्तार को अवैध करार दिया, लेकिन राष्ट्रीय हित का हवाला देते हुए उन्हें 15 सितंबर 2023 तक पद पर रहने की अनुमति दी। इस दौरान मिश्रा ने विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे भगोड़ों के खिलाफ कार्रवाई और कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं की जांच को आगे बढ़ाया।
आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त रह चुके हैं मिश्रा
ईएसी-पीएम एक स्वतंत्र निकाय है जो प्रधानमंत्री को आर्थिक मामलों पर सलाह देता है। मिश्रा की नियुक्ति को उनके आर्थिक विशेषज्ञता और प्रशासनिक अनुभव के आधार पर देखा जा रहा है। इससे पहले वह दिल्ली में आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त के रूप में कार्यरत थे। उनकी नई भूमिका में वह देश की आर्थिक नीतियों, वित्तीय स्थिरता और विकास योजनाओं पर सुझाव देंगे। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और सरकार आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर जोर दे रही है।
राजनीतिक हलकों में इस नियुक्ति पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। जहां कुछ इसे मिश्रा की क्षमता का सम्मान मानते हैं, वहीं विपक्षी दलों ने इसे “मोदी सरकार के करीबी लोगों को पुरस्कृत करने” का कदम बताया। बहरहाल, मिश्रा का अनुभव निश्चित रूप से परिषद के कामकाज को मजबूती देगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इस नई जिम्मेदारी में किस तरह योगदान देते हैं।