नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक वन विभाग के ड्राइवर को चीतों को पानी पिलाते हुए देखे जाने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया। यह घटना तब सामने आई जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ड्राइवर सत्यानारायण गुर्जर चीतों के लिए पानी डालते नजर आए।
वीडियो में दिखाया गया कि वह प्लेट में पीले प्लास्टिक के डिब्बे से पानी डाल रहा था, जिसे चीता ज्वाला और उसके चार शावकों ने पीया। यह घटना पार्क के बाहर एक गांव के पास हुई, जहां चीतों ने हाल ही में छह बकरियों का शिकार किया था।
वन विभाग ने इस कार्रवाई को नियमों का उल्लंघन माना। अधिकारियों का कहना है कि वन्यजीवों के साथ मानवीय संपर्क को कम करने के लिए सख्त दिशानिर्देश हैं, ताकि वे इंसानों पर निर्भर न हों और प्राकृतिक व्यवहार बना रहे। ड्राइवर को चीता ट्रैकिंग टीम के लिए अनुबंधित वाहन चलाने के लिए रखा गया था। वीडियो वायरल होने के बाद वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच की और गुर्जर को निलंबित कर दिया। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं चीतों को मानव बस्तियों के करीब ला सकती हैं, जिससे संघर्ष का खतरा बढ़ता है।
कई लोगों ने संवेदनशीलता का प्रतीक बताया
यह घटना तब हुई जब चीता संरक्षण परियोजना के तहत कूनो में चीतों को फिर से बसाने की कोशिश चल रही है। पिछले दो हफ्तों में चीतों पर ग्रामीणों द्वारा पथराव की घटनाएं भी सामने आई थीं, जब उन्होंने मवेशियों पर हमला किया था। इसके बावजूद, इस वीडियो को कई लोगों ने संवेदनशीलता का प्रतीक माना। हालांकि, वन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया और कहा कि सह-अस्तित्व के लिए नियमों का पालन जरूरी है।
कूनो में फिलहाल 17 चीते हैं, जिनमें 11 भारत में पैदा हुए
कूनो में वर्तमान में 17 चीते हैं, जिनमें 11 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं। यह परियोजना भारत में चीतों को फिर से लाने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानव-वन्यजीव संपर्क से चीतों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। इस घटना ने स्थानीय लोगों में नाराजगी पैदा की है, जो इसे एक दयालु कृत्य मानते हैं। फिर भी, वन विभाग ने साफ किया कि प्रोटोकॉल का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।