नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-4’ के लिए तैयारी कर रहा है। इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 2,104.06 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही 2040 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने के भारत अपने अंतिम लक्ष्य की नींव रखने के लिए तैयार है। 2027 में लॉन्च होने वाला चंद्रयान-4 भारत के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
चंद्रयान-4 कैसे 2040 लैंडिंग के लिए मंच करेगा तैयार
मिशन का उद्देश्य भविष्य के क्रू मिशनों के लिए आवश्यक प्रमुख तकनीकों का प्रदर्शन करना है, जिसमें सटीक लैंडिंग, नमूना संग्रह और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी शामिल है। यह नमूना वापसी मिशन सफल चंद्रयान-3 लैंडिंग से एक महत्वपूर्ण छलांग लगाएगा, जो भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं की सीमाओं को आगे बढ़ाएगा।
मिशन के डिजाइन में दो अलग-अलग लॉन्च में पांच मॉड्यूल शामिल है, जो जटिल अंतरिक्ष संचालन के लिए इसरो के अभिनव दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं। ये मॉड्यूल चंद्रमा पर उतरने, नमूना एकत्र करने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए मिलकर काम करेंगे। यह उपलब्धि अमेरिका और चीन सहित केवल कुछ ही देशों द्वारा हासिल की गई है।
चंद्रयान-4 की क्या खासियत होगी
इन प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करके चंद्रयान-4 2040 में भारत की नियोजित चालक दल चंद्र लैंडिंग के लिए आवश्यक प्रणालियों के विकास में सीधे योगदान देगा। मिशन चंद्र कक्षा में डॉकिंग और अनडॉकिंग, सटीक लैंडिंग तकनीक और पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से अंतरिक्ष यान की सुरक्षित वापसी जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को मान्य करेगा।
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने मिशन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “चंद्रयान-4 केवल चंद्रमा की चट्टानों को वापस लाने के बारे में नहीं है। यह मनुष्यों को चंद्रमा पर भेजने और उन्हें सुरक्षित वापस लाने की हमारी क्षमता को साबित करने के बारे में है।”