नई दिल्ली। भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में वापस लाने की रणनीति तेज कर दी। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जिसे भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का सबूत माना। इसके जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की, द्विपक्षीय व्यापार रोका और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए।
FATF मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पर निगरानी रखता है। इसने पाकिस्तान को 2008, 2012-15, और 2018-22 तक ग्रे लिस्ट में रखा था। अक्टूबर 2022 में उल्लेखनीय प्रगति के बाद पाकिस्तान को इससे हटाया गया। लेकिन पहलगाम हमले ने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी उपायों पर सवाल उठाए। भारत अब FATF की जून 2025 की पूर्ण सभा में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने की तैयारी कर रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट्स के अनुसार, भारत FATF से पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने और IMF बेलआउट पर आपत्ति जताने की कोशिश कर रहा है।
ग्रे लिस्ट में जाने से पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता को गहरा नुकसान
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (GDP: $348.72 बिलियन) भारत ($4.2 ट्रिलियन) की तुलना में कमजोर है, और इसके विदेशी मुद्रा भंडार ($16.04 बिलियन) भारत ($686.2 बिलियन) से काफी कम हैं। ग्रे लिस्ट में वापसी से पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता को गहरा नुकसान हो सकता है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्यों को हमले के सीमा पार संबंधों की जानकारी दी है।
हमलावरों ने पाकिस्तान से एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए संपर्क किया
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में पता चला कि हमलावरों ने पाकिस्तान से एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए संपर्क किया था, जिसमें ISI की भूमिका संदिग्ध है। पाकिस्तान ने हमले में संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन भारत का दावा है कि यह आतंकवाद को बढ़ावा देने का सबूत है। भारत की यह रणनीति पाकिस्तान के आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने और उसकी वैश्विक साख को कमजोर करने के लिए है।