नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 अप्रैल, 2025 को श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर कोलंबो पहुंचे। यह उनकी तीसरी कार्यकाल में श्रीलंका की पहली यात्रा है और राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के सत्ता में आने के बाद किसी विदेशी नेता की पहली यात्रा भी है।
इस दौरे का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, डिजिटल बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना है। शनिवार को पीएम मोदी को कोलंबो के इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया, जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति दिसानायके के साथ औपचारिक वार्ता शुरू की।
इस यात्रा के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच सात समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौता भी शामिल है। यह समझौता दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, समुद्री निगरानी और उपकरण समर्थन को बढ़ावा देगा।
इसके अलावा, त्रिंकोमाली में 120 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना के लिए भारत की एनटीपीसी और श्रीलंका की सेलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के बीच संयुक्त उद्यम पर भी सहमति बनी। यह परियोजना श्रीलंका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगी। व्यापार, डिजिटल कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी नए समझौते किए गए।
श्रीलंका 2022 के आर्थिक संकट से उबर रहा
पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब श्रीलंका 2022 के आर्थिक संकट से उबर रहा है। भारत ने उस संकट के दौरान श्रीलंका को 4 मिलियन डॉलर की सहायता दी थी और अब भी ऋण पुनर्गठन व मुद्रा स्वैप जैसे उपायों से मदद जारी रखने को तैयार है। दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा भी चर्चा का प्रमुख मुद्दा रहा, खासकर हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए। राष्ट्रपति दिसानायके ने आश्वासन दिया कि श्रीलंका अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत की सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने देगा।
कई वर्चुअल परियोजनाओं का उद्घाटन किया
शनिवार को पीएम मोदी और दिसानायके ने कई वर्चुअल परियोजनाओं का उद्घाटन किया। रविवार को दोनों नेता अनुराधापुरा जाएंगे, जहाँ वे महाबोधि मंदिर में श्रद्धांजलि देंगे और अन्य परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे। यह यात्रा भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और ‘सागर’ विजन को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा दोनों देशों के संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करेगा।