नई दिल्ली। यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने हाल ही में घोषणा की है कि वे वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) के अंत की घोषणा करेंगे, यह कहते हुए कि यह असफल रहा है। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) के जवाब में आया है, जिसने वैश्विक व्यापार युद्ध को तेज कर दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टार्मर का यह कदम ट्रम्प के संरक्षणवादी नीतियों के प्रति उनकी समझ को दर्शाने की योजना का हिस्सा है।
स्टार्मर का मानना है कि वैश्वीकरण ने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए और इसके कारण आर्थिक असमानता बढ़ी है। ट्रम्प ने हाल ही में यूके सहित कई देशों से आयात पर 10% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसके बाद यूके सरकार ने इस नए व्यापारिक युग में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश शुरू की। स्टार्मर ने कहा कि वह ट्रम्प के फैसले को समझते हैं और यूके इस स्थिति में शांत और समझदारी से जवाब देगा।
व्यापार समझौते के लिए अमेरिका से बातचीत
इस घोषणा को ट्रम्प की नीतियों के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है, जो वैश्विक व्यापार को फिर से परिभाषित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यूके, जो पहले यूरोपीय संघ का हिस्सा था, अब स्वतंत्र रूप से अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। स्टार्मर ने यह भी संकेत दिया कि वह यूएस के साथ एक ऐसा व्यापार समझौता चाहते हैं जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो, ताकि टैरिफ से बचा जा सके।
वह युद्ध की बजाय बातचीत को देंगे प्राथमिकता: स्टार्मर
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्वीकरण का अंत घोषित करना एक जटिल मुद्दा है। जहां कुछ लोग इसे ब्रिटिश उद्योगों के लिए अवसर मानते हैं, वहीं अन्य इसे आर्थिक अनिश्चितता का कारण बताते हैं। यूके के ऑटोमोटिव और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों पर टैरिफ का असर पड़ सकता है। स्टार्मर ने जोर देकर कहा कि वह युद्ध की बजाय बातचीत को प्राथमिकता देंगे।
यह घटनाक्रम वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।
यह घोषणा उनके घरेलू एजेंडे से ध्यान हटाने की कोशिश
ट्रम्प की नीतियों ने न केवल यूके, बल्कि यूरोपीय संघ और अन्य देशों को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। स्टार्मर की यह घोषणा उनके घरेलू एजेंडे से ध्यान हटाने की कोशिश भी मानी जा रही है, क्योंकि उनकी सरकार को आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यूके इस नए व्यापारिक परिदृश्य में अपनी स्थिति कैसे मजबूत करता है।