नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 के आगामी सत्र से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों के रिप्लेसमेंट (खिलाड़ियों में बदलाव) से संबंधित नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य टूर्नामेंट के दौरान टीमों को अधिक लचीलापन प्रदान करना और प्रतिस्पर्धा के स्तर को बनाए रखना है।
प्रतिस्थापन विंडो का विस्तार
पहले, टीमें अपने पहले सात लीग मैचों तक ही चोटिल या अनुपलब्ध खिलाड़ियों के लिए रिप्लेसमेंट ले सकती थीं। अब, इस सीमा को बढ़ाकर 12वें लीग मैच तक कर दिया गया है, जिससे फ्रेंचाइजियों को अधिक समय और अवसर मिलेगा।
रिप्लेसमेंट खिलाड़ी की पात्रता
रिप्लेसमेंट के लिए चयनित खिलाड़ी का नाम उसी सत्र के रजिस्टर्ड अवेलेबल प्लेयर पूल (RAPP) में होना आवश्यक है। RAPP में वे खिलाड़ी शामिल होते हैं जिन्होंने नीलामी के लिए पंजीकरण कराया था लेकिन नहीं बिके या जिनका नाम नीलामी में नहीं आया
वेतन संरचना और शुल्क
रिप्लेसमेंट खिलाड़ी की लीग फीस उस खिलाड़ी की बेस प्राइस से कम नहीं हो सकती, जिसकी जगह वह टीम में शामिल हो रहा है। यदि कोई खिलाड़ी एक करोड़ रुपये की बेस प्राइस के साथ नीलामी में नहीं बिकता और उसे रिप्लेसमेंट के रूप में शामिल किया जाता है, तो फ्रेंचाइजी को कम से कम एक करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
टीम संरचना और विदेशी खिलाड़ी
यदि किसी टीम ने पहले से ही अपने आठ विदेशी खिलाड़ियों का कोटा पूरा कर लिया है, तो वह विदेशी खिलाड़ी को रिप्लेसमेंट के रूप में शामिल नहीं कर सकती। इसके अलावा, प्रत्येक अनुपलब्ध खिलाड़ी के लिए केवल एक रिप्लेसमेंट लिया जा सकता है।
चोटिल खिलाड़ी की वापसी
यदि किसी खिलाड़ी को सीजन के दौरान चोट लगती है और BCCI की मेडिकल टीम यह निष्कर्ष निकालती है कि वह सीजन के अंत तक फिट नहीं होगा, तो उसे रिप्लेस किया जा सकता है। एक बार रिप्लेस होने के बाद, वह खिलाड़ी उसी सीजन में दोबारा नहीं खेल सकता, भले ही वह बीच में फिट हो जाए।
इन नए नियमों के साथ, BCCI ने फ्रेंचाइजियों को अधिक लचीलापन प्रदान किया है ताकि वे सीजन के दौरान अप्रत्याशित परिस्थितियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें। यह कदम न केवल टीमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखेगा बल्कि टूर्नामेंट की गुणवत्ता और दर्शकों की रुचि को भी बढ़ाएगा।