तेहरान। इजराइल ने ईरान के छह सैन्य हवाई अड्डों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिसमें 15 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर नष्ट हो गए। इजराइल रक्षा बल (IDF) ने दावा किया कि इन हमलों से ईरान की हवाई शक्ति को गंभीर नुकसान पहुंचा है। हमले पश्चिमी, पूर्वी और मध्य ईरान में रनवे, हैंगर, ईंधन भरने वाले विमानों और सैन्य उपकरणों को निशाना बनाकर किए गए।
नष्ट किए गए विमानों में F-14, F-5 और AH-1 हेलीकॉप्टर शामिल हैं। यह कार्रवाई इजराइल की ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु और सैन्य कार्यक्रमों को कमजोर करना है।
दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर
इजराइल के इस हमले से पहले 13 जून को शुरू हुई जंग में दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों, सैन्य अड्डों और नेतृत्व को निशाना बनाया था, जिसके जवाब में ईरान ने इज़राइल पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन दागे। इन हमलों में इज़राइल में 24 और ईरान में 224 लोगों की मौत की खबर है। ताजा हमले ईरान की हवाई रक्षा को और कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हैं, ताकि इजराइल को ईरानी हवाई क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से संचालन की सुविधा मिले।
इज़राइल के F-35 विमान को मार गिराया
ईरान ने दावा किया कि उसने इज़राइल के F-35 विमान को मार गिराया, लेकिन IDF ने इन दावों को खारिज किया। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के परमाणु हथियार बनाने की कोशिश को रोकने के लिए हमले जारी रहेंगे। इस बीच, अमेरिका ने 22 जून को तीन ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिससे तनाव और बढ़ गया।
भारत ने इस क्षेत्र में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं। ऑपरेशन सिंधु के तहत 280 से अधिक भारतीय, जिनमें 200 जम्मू-कश्मीर के छात्र शामिल हैं, को ईरान से सुरक्षित निकाला गया। यह युद्ध मध्य पूर्व में व्यापक अस्थिरता का कारण बन सकता है, जिसका असर वैश्विक तेल आपूर्ति पर भी पड़ सकता है।