नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 18 मई 2025 को अपने 101वें मिशन के तहत पीएसएलवी-सी61 रॉकेट के माध्यम से ईओएस-09 (RISAT-1B) सैटेलाइट को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में लॉन्च करने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से सुबह 12:29 बजे UTC (5:59 बजे IST) पर किया गया।
ईओएस-09 एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो ईओएस-04 का दोहराव है और इसका उद्देश्य दिन-रात, हर मौसम में पृथ्वी की निगरानी करना है, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों की। यह सैटेलाइट भारत की सभी मौसम निगरानी क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला था।
तीसरे चरण में चैंबर दबाव की कमी के कारण हुआ असफल
हालांकि, मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो सका। इसरो के अनुसार, रॉकेट के पहले और दूसरे चरण ने सामान्य रूप से कार्य किया, लेकिन तीसरे चरण में चैंबर दबाव में कमी के कारण मिशन अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सका। परिणामस्वरूप, चौथा चरण और सैटेलाइट कक्षा में स्थापित नहीं हो सके। इसरो प्रमुख ने इस असामान्यता की पुष्टि की और कहा कि इसका विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। इस असफलता ने इसरो के लिए एक झटका माना जा रहा है, जो अपने विश्वसनीय पीएसएलवी रॉकेट के लिए जाना जाता है।
यह सैटेलाइट कृषि और रक्षा क्षेत्र में निगरानी के लिए जरूरी
ईओएस-09 का उद्देश्य रिमोट सेंसिंग डेटा प्रदान करना था, जो आपदा प्रबंधन, कृषि, और रक्षा निगरानी जैसे क्षेत्रों में उपयोगी होता। इसकी रडार इमेजिंग तकनीक बादलों और अंधेरे में भी सटीक चित्रण की क्षमता रखती है। इसरो ने इस मिशन को भारत की अंतरिक्ष नवाचार और पृथ्वी अवलोकन क्षमताओं में एक बड़ा कदम बताया था।
X पर पोस्ट्स के अनुसार, इस असफलता ने अंतरिक्ष समुदाय में चर्चा शुरू कर दी है। इसरो ने इस असामान्यता को दूर करने और भविष्य में सफलता सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है। इसरो का यह मिशन भले ही असफल रहा, लेकिन संगठन का इतिहास दर्शाता है कि यह चुनौतियों से सीखकर और मजबूत होकर उभरेगा।