डिप्टी सीएम के काफिले की वजह से 30 छात्रों की जेईई मेन की परीक्षा छूटी, जांच के दिए गए आदेश

नई दिल्ली। विशाखापत्तनम में एक विवादास्पद घटना सामने आई, जब करीब 30 छात्र जेईई (मेन) सेशन 2 परीक्षा में शामिल नहीं हो सके। छात्रों और उनके अभिभावकों ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण के काफिले के कारण ट्रैफिक जाम हो गया, जिसके चलते वे परीक्षा केंद्र तक समय पर नहीं पहुंच पाए। यह घटना पेंडुरथी में आयन डिजिटल जेईई परीक्षा केंद्र के पास हुई, जहां परीक्षा सुबह 8:30 बजे शुरू होने वाली थी।

छात्रों का कहना है कि वे सिर्फ दो मिनट की देरी से पहुंचे, लेकिन सख्त नियमों के कारण उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। अभिभावकों ने बताया कि काफिला उसी रास्ते से गुजर रहा था, जिसके कारण भारी पुलिस तैनाती और ट्रैफिक रोक दिया गया, जिससे छात्र प्रभावित हुए।

घटना ने सोशल मीडिया पर भी हंगामा मचा दिया

छात्रों ने दावा किया कि वे पिछले दो साल से इस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे और इस घटना ने उनके भविष्य को खतरे में डाल दिया। उन्होंने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से प्रभावित छात्रों के लिए विशेष परीक्षा आयोजित करने का अनुरोध किया। एक अभिभावक ने कहा, “हमने कर्मचारियों से बहुत विनती की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। यह हमारी गलती नहीं थी।” इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी हंगामा मचा दिया, जहां कई लोगों ने पवन कल्याण और प्रशासन की आलोचना की।

विशाखापत्तनम पुलिस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया

हालांकि, विशाखापत्तनम पुलिस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। पुलिस का कहना है कि काफिले के कारण ट्रैफिक नहीं रोका गया और छात्रों को सुबह 7:00 बजे तक रिपोर्ट करना था, जैसा कि उनके एडमिट कार्ड में निर्देश था। पुलिस ने कहा कि काफिला सुबह 8:41 बजे क्षेत्र से गुजरा, जो परीक्षा शुरू होने के बाद का समय था।

पवन कल्याण के कार्यालय ने मामले की जांच के आदेश दिए

दूसरी ओर, इस विवाद के बाद पवन कल्याण के कार्यालय ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री ने पुलिस से ट्रैफिक रुकावट की अवधि, सड़क की स्थिति और सेवा सड़कों पर नियंत्रण के उपायों की जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि वे अपनी यात्राओं के दौरान जनता को असुविधा नहीं पहुंचाना चाहते और पुलिस को भविष्य में ट्रैफिक को कम समय के लिए नियंत्रित करने के निर्देश दिए। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था और वीआईपी मूवमेंट के प्रभाव पर सवाल उठाए हैं।

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