नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय को जल्द ही नया मुख्य न्यायाधीश मिलने वाला है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल 2025 को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश केंद्रीय विधि मंत्रालय को भेजी है। जस्टिस गवई 14 मई 2025 को शपथ लेंगे, जब सीजेआई खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होंगे। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने से अधिक का होगा, जो नवंबर 2025 में उनकी सेवानिवृत्ति तक चलेगा। वह जस्टिस के.जी. बालकृष्णन के बाद दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे।
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 16 मार्च 1985 को बार जॉइन किया और 1987 तक पूर्व महाधिवक्ता राजा एस. भोंसले के साथ काम किया। 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस की और बाद में नागपुर बेंच में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून के मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। 2003 में वे बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज बने और 2005 में स्थायी जज नियुक्त हुए। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को किया था असंवैधानिक घोषित
जस्टिस गवई कई महत्वपूर्ण संवैधानिक पीठों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने 2016 की नोटबंदी को बरकरार रखने और इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने जैसे ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया। एक सात जजों की पीठ में, उन्होंने अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण को संवैधानिक रूप से सही ठहराया। इसके अलावा, उन्होंने अप्रस्तुत या अपर्याप्त स्टैंप वाले समझौतों में मध्यस्थता खंड को लागू करने योग्य माना।
जस्टिस गवई ने बाबा साहेब आंबेडकर की संविधान की प्रशंसा की
जस्टिस गवई ने हाल ही में बाबासाहेब आंबेडकर की संविधान की प्रशंसा की, जिसे उन्होंने सामाजिक प्रगति का आधार बताया। उन्होंने कहा कि संविधान के कारण ही वह इस मुकाम तक पहुंचे। उनकी नियुक्ति को सामाजिक समावेश और संवैधानिक मूल्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।