एकनाथ शिंदे विवाद में तीसरे समन पर न आने पर कुणाल कामरा का मुंबई पुलिस को पत्र

नई दिल्ली। स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने मुंबई पुलिस को एक पत्र लिखकर तीन समन छोड़ने के बाद अपनी स्थिति स्पष्ट की। यह मामला महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर उनके कथित अपमानजनक चुटकुलों से जुड़ा है।

कामरा ने अपने पत्र में कहा कि वह 5 अप्रैल को मुंबई पुलिस के सामने पेश होने में असमर्थ थे, क्योंकि वह तमिलनाडु में रहते हैं और उनके वकील ने उन्हें सलाह दी थी कि वे व्यक्तिगत रूप से पेश होने से पहले कानूनी प्रक्रिया पूरी करें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं और जल्द ही मुंबई पहुंचकर अपना बयान दर्ज कराएंगे।

कामरा ने शिंदे पर तंज कसा और उन्हें गद्दार कहा

कुणाल कामरा ने अपने पत्र में मुंबई पुलिस से अनुरोध किया कि उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न की जाए, क्योंकि वह अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं। इस विवाद की शुरुआत तब हुई, जब कामरा ने मुंबई के खार में हबीटेट स्टूडियो में एक स्टैंड-अप शो के दौरान 1997 की फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक गाने की पैरोडी के जरिए शिंदे पर तंज कसा और उन्हें ‘गद्दार’ कहा। इस प्रदर्शन का वीडियो 23 मार्च को वायरल होने के बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं ने स्टूडियो में तोड़फोड़ की और कामरा के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गईं।

मुंबई पुलिस ने कामरा को जारी किए थे तीन समन

मुंबई पुलिस ने कामरा को तीन समन जारी किए थे, जिसमें उन्हें 5 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। इससे पहले, 31 मार्च को पुलिस उनके मुंबई स्थित पुराने घर पहुंची थी, जिसके जवाब में कामरा ने सोशल मीडिया पर इसे ‘समय और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी’ बताया, क्योंकि वे वहां पिछले 10 सालों से नहीं रहते। कामरा को मद्रास हाई कोर्ट से 7 अप्रैल तक की अंतरिम अग्रिम जमानत मिली हुई है।

कामरा ने कहा- वह माफी नहीं मांगेंगे

यह विवाद तब और गहरा गया, जब शिवसेना विधायक मूर्जी पटेल सहित कई लोगों ने कामरा के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज की। शिंदे ने इस मामले पर कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं होती हैं। दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने कामरा का समर्थन करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। कामरा ने साफ कर दिया कि वह अपने बयानों के लिए माफी नहीं मांगेंगे और कानूनी प्रक्रिया का सामना करने को तैयार हैं। यह मामला अब कानूनी और राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।

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