पवन चोपड़ा, चंडीगढ़। विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण और चुनाव प्रचार के दौरान व्यक्तिगत टिप्पणी से नाराज होने पर कुमारी सैलजा एक बार फिर से चुनावी रण उतर चुकी है। सैलजा की ओर से कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया गया है। इन सबके बीच कुमारी सैलजा के मन में आज भी हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा है। एक खास बातचीत में कुमारी सैलजा ने अपनी नाराजगी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ हुए मनमुटाव पर खुलकर बातचीत की।
मुख्यमंत्री बनने और चुनाव प्रचार से दूरी पर कुमारी सैलजा ने कहा कि हर संगठन में अपनी-अपनी जगह के लिए लोग मेहनत करते हैं। हर कोई अपने लिए जगह मांगता है। अपनी जगह हासिल करने के लिए कईं बार जद्दोजहद भी करनी पड़ती है। यह सब हर संगठन में होता है। चुनाव में हर कोई अपनी-अपनी संस्था के लिए काम करता है। उसी प्रकार से उनके भी कुछ मुद्दे थे, जिनके बारे में हाई कमान को भी पता है। सैलजा ने कहा कि उन मुद्दों को मीडिया या फिर सार्वजनिक रूप से नही बताया जा सकता। सब हाई कमान की जानकारी में हैं। सभी 90 सीटों पर प्रचार करने को लेकर सैलजा कहा कि वह सभी सीटों पर प्रचार नहीं कर सकती।
‘संदेश यात्रा का पड़ा था असर’
कुमारी सैलजा ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में संदेश यात्रा निकाली थी, जिसका बहुत असर पड़ा। लोकसभा चुनाव के बाद भी उनका कार्यक्रम जारी रहा। भूपेंद्र हुड्डा की और से उनके और उनकी और से हुड्डा के समर्थन प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार नहीं किए जाने पर सैलजा ने कहा कि हर कोई पार्टी के लिए काम करता है। कोई कहीं तो कोई कहीं करता है। कांग्रेस का बहुमत आने पर 2019 का जिक्र करते हुए कुमारी सैलजा ने कहा कि उस समय वह कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष थी और भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस विधायक दल के नेता था। उस समय उन्होंने आपस में चर्चा कर प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर मीटिंग थी, जिसका परिणाम विधानसभा चुनाव में नजर आया था।
‘लोग भी चाहते हैं बदलाव’
कुमारी सैलजा ने माना कि यदि प्रदेश में पार्टी का संगठन होता तो लोकसभा चुनाव में उसका फायदा मिलता, लेकिन अब लोगों में बहुत जोश है। लोग भी अब प्रदेश में बदलाव चाह रहे हैं।
‘विपक्ष में सीएम फेस नहीं होता’
मुख्यमंत्री बनने पर सैलजा कहा कि इसका फैसला हाई कमान की ओर से किया जाएगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करने पर उन्होंने कहा कि विपक्ष में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं होता है, बल्कि चुनाव के बाद इस बारे में हाई कमान फैसला लेता है। विधायक एक लाइन का प्रस्ताव करते हैं। ऑब्जर्बर कई बार विधायकों से बात कर लेते हैं। परंतु अंतिम फैसला हाई कमान का ही होता है।
‘उम्मीदवार को बैठाना होता है सिस्टम’
विधानसभा चुनाव की शुरूआत में प्रचार में नजर नहीं आने को लेकर कुमारी सैलजा ने कहा कि शुरू में कछ दिन उम्मीदवार को अपना सिस्टम बैठाने में समय लगता है। हरियाणा में पार्टी का संगठनात्मक ढांचा नहीं है। पार्टी में नीचे जमीनी स्तर पर संगठन नहीं है। इसलिए उम्मीदवार को बूथ कमेटी आदि बनाने में समय लगा। इसलिए उस समय में प्रचार के लिए उनका नहीं जाना कोई मायने नहीं रखता था।