नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी गई है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक शामिल थे। गृह मंत्रालय ने शनिवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस से जांच एनआईए को हस्तांतरित कर दी गई। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली थी।
हमला पहलगाम के बैसरण मीडो में हुआ, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है। पांच से छह आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया गया। एनआईए की विशेष टीमें ड्रोन और यूएवी जैसे आधुनिक उपकरणों के साथ जांच में जुटी हैं। जांच में पाया गया कि आतंकियों ने बॉडी कैम और हेलमेट-माउंटेड कैमरों का इस्तेमाल किया, जो हमले की पूरी घटना को रिकॉर्ड करने के लिए था। आतंकियों के पास सूखे मेवे और दवाइयां भी थीं, जो उनकी लंबी तैयारी का संकेत देता है।
आतंकियों को मिली थी स्थानीय मदद
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, तीन आतंकियों की पहचान हाशिम मूसा, अली भाई और आदिल हुसैन ठोकर के रूप में हुई है, जिनमें दो पाकिस्तानी हैं और ठोकर स्थानीय निवासी है। इन पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है। जांच में यह भी सामने आया कि आतंकियों को स्थानीय सहायता मिली थी और हमले की साजिश में पाकिस्तान स्थित लश्कर कमांडर सैफुल्लाह कसूरी की भूमिका थी।
हमले के बाद भारत ने उठाए कई कड़े कदम
हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना, वाघा सीमा बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है। गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में सुरक्षा समीक्षा बैठक की और पीड़ितों से मुलाकात की। एनआईए अब प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों के बयानों के आधार पर जांच को आगे बढ़ा रही है, ताकि इस जघन्य अपराध के दोषियों को सजा दी जा सके।