नई दिल्ली। एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक आज (17 दिसंबर) लोकसभा में पेश किया गया, जिस पर विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल द्वारा एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के उद्देश्य से दो विधेयक- संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक – पेश किए गए। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बोलते हुए सुझाव दिया कि विधेयक को बहस के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जा सकता है।
उन्होंने कहा, “हम इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज सकते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री भी यही चाहते थे। डीएमके के टीआर बालू ने कहा कि बिल जेपीसी को भेजा जाना चाहिए। लोकसभा में अमित शाह ने कहा, ठप्रधानमंत्री ने खुद कहा है कि हम इसे जेपीसी को भेजने के लिए तैयार हैं।
आरोप का केंद्रीय मंत्री ने दिया जवाब
विधेयक को पेश करने की विपक्ष ने तीखी आलोचना की, जिसमें एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले, कांग्रेस के मनीष तिवारी, तृणमूल के कल्याण बनर्जी, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव और डीएमके के टीआर बालू जैसे नेताओं ने इसका नेतृत्व किया। इस पर कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर आपत्तियां राजनीतिक प्रकृति की हैं।
संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ: मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे को चुनौती देता है। अखिलेश यादव की ओर से समाजवादी सांसद धर्मेंद्र यादव ने बीजेपी सरकार पर तानाशाही थोपने का आरोप लगाते हुए बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह बिल भारत की विविधता और उसके संघीय ढांचे को खत्म कर देगा।
इन दलों ने किया बिल का विरोध
मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया वन नेशन वन इलेक्शन बिल बीजेपी और उसके सहयोगियों और इंडिया ब्लॉक के बीच विवाद का नवीनतम मुद्दा बनकर उभरा है। जहां भाजपा और उसके सहयोगियों ने विधेयक का समर्थन किया है, वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) सहित कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है।