कोलकाता में रामनवमी जुलूस के दौरान हमला, भाजपा का दावा; पुलिस की भी प्रतिक्रिया आई सामने

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में एक राम नवमी जुलूस पर हमले और वाहनों में तोड़फोड़ की घटना का आरोप लगाया। बीजेपी ने इस घटना के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाना बनाया, इसे सुनियोजित हिंसा करार दिया। हालांकि, कोलकाता पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पार्क सर्कस क्षेत्र में ऐसा कोई जुलूस हुआ ही नहीं।

केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने दावा किया कि राम नवमी जुलूस के लौटते समय पार्क सर्कस सेवन पॉइंट क्षेत्र में हिंदू भक्तों पर ‘बर्बर हमला’ हुआ। उन्होंने कहा, “केवल भगवा झंडे लगे होने के कारण वाहनों पर पत्थरों की बारिश की गई। गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए गए। अराजकता फैल गई। यह कोई अचानक हुई घटना नहीं थी बल्कि यह सुनियोजित हिंसा थी। पुलिस कहां थी? वहीं थी। देख रही थी।” बीजेपी ने सोशल मीडिया पर एक कथित वीडियो भी साझा किया, जिसमें दावा किया गया कि भारी पुलिस मौजूदगी के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ममता बनर्जी की इच्छा पूरी होती दिख रही: BJP

पश्चिम बंगाल बीजेपी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, “ममता बनर्जी की लंबे समय की इच्छा पूरी होती दिख रही है। कोलकाता के दिल पार्क सर्कस में राम नवमी भक्तों के वाहनों पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। भारी पुलिस मौजूदगी के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।” पार्टी ने इसे ममता बनर्जी की नीतियों का परिणाम बताया और हिंदुओं को ‘दूसरे दर्जे का नागरिक’ बनाने का आरोप लगाया।

राज्य भर में 14 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती

दूसरी ओर, कोलकाता पुलिस ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। पुलिस का कहना है कि पार्क सर्कस में राम नवमी का कोई जुलूस नहीं निकला और बीजेपी के आरोप निराधार हैं। पुलिस ने यह भी बताया कि राम नवमी के मौके पर राज्य भर में 14,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था ताकि शांति बनी रहे।

घटना के बाद बीजेपी और टीएमसी के बीच तनाव

इस घटना ने बीजेपी और टीएमसी के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। बीजेपी ने ममता बनर्जी पर हिंदू त्योहारों के दौरान जानबूझकर तनाव पैदा करने का आरोप लगाया, जबकि टीएमसी ने इसे बीजेपी की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति करार दिया। यह विवाद पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को और गरमा सकता है।

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