नई दिल्ली। नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजशाही समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। यह प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब हजारों राजशाही समर्थक तिनकुने इलाके में जमा हुए और नेपाल में 2008 में समाप्त हुई 240 साल पुरानी राजशाही की बहाली और हिंदू राज्य की मांग करने लगे।
प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में नारे लगाए, जैसे ‘राजा आऊ, देश बचाऊ’ और ‘भ्रष्ट सरकार को हटाओ’। स्थिति तब बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की, पत्थर फेंके और कई इमारतों व वाहनों में आग लगा दी। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस, रबर की गोलियां और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।
फोटो जर्नलिस्ट सुरेश राजक की मौत
इस हिंसा में एक प्रदर्शनकारी की गोली लगने से और एक फोटो जर्नलिस्ट सुरेश राजक की मौत हो गई, जो तिनकुने में एक जलती इमारत में फंस गए थे। दर्जन भर पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने एक व्यापारिक परिसर, एक मॉल, एक राजनीतिक पार्टी का मुख्यालय और एक मीडिया हाउस को आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने 105 लोगों को हिरासत में लिया
इसके बाद सरकार ने तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया और सेना को तैनात कर दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आपात बैठक बुलाई। पुलिस ने 105 लोगों को हिरासत में लिया, जिसमें राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता धवल शमशेर राणा और रवींद्र मिश्रा शामिल हैं, लेकिन मुख्य आयोजक दुर्गा प्रसाई फरार हैं।
नेपाल में राजशाही 2008 में संसदीय घोषणा के बाद समाप्त
नेपाल में राजशाही 2008 में संसदीय घोषणा के बाद समाप्त हो गई थी, जिसने देश को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया। हाल के वर्षों में भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट से नाराजगी के कारण राजशाही समर्थकों का आंदोलन तेज हुआ है। प्रदर्शनकारी मानते हैं कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की वापसी स्थिरता ला सकती है। दूसरी ओर, गणतंत्र समर्थकों ने भी भृकुटीमंडप में शांतिपूर्ण जवाबी प्रदर्शन किया। हिंसा के बाद काठमांडू में तनाव बना हुआ है, और सेना सड़कों पर गश्त कर रही है।
स्थिति पर नजर रखने के लिए जांच शुरू
यह घटना नेपाल के राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाती है, जहां 16 साल में 14 सरकारें बदल चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार और आर्थिक गिरावट के खिलाफ जनता के गुस्से का परिणाम है। सरकार ने हिंसा की निंदा की और इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताया। स्थिति पर नजर रखने के लिए जांच शुरू कर दी गई है।