नई दिल्ली। अमृतसर के अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तान भेजे जाने की प्रक्रिया के दौरान 69 वर्षीय पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल वहीद की हार्ट अटैक से मौत हो गई। यह घटना 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए सख्त कदमों के बीच हुई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया था।
अब्दुल वहीद पिछले 17 वर्षों से भारत में रह रहे थे और उनका वीजा समाप्त हो चुका था। जम्मू-कश्मीर पुलिस उन्हें श्रीनगर से अटारी बॉर्डर पर डिपोर्टेशन के लिए लाई थी। बुधवार को वह अटारी के इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) के बाहर बस में अन्य 60-70 पाकिस्तानी नागरिकों के साथ इंतजार कर रहे थे, तभी उनकी तबीयत बिगड़ी। उन्हें गंभीर हालत में अमृतसर के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई।
850 भारतीय नागरिक पाकिस्तान से लौट चुके हैं
पहलगाम हमले के बाद भारत ने कई कड़े कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने के लिए सुनिश्चित करें। इस दौरान, 24 अप्रैल से चार दिनों में 537 पाकिस्तानी नागरिक अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत से लौट चुके हैं, जबकि 850 भारतीय नागरिक पाकिस्तान से वापस आए।
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया
अटारी बॉर्डर पर भावुक दृश्य देखने को मिले, जहां परिवार बिछड़ गए। कई पाकिस्तानी नागरिकों ने भारत सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की, खासकर उन परिवारों के लिए जिनमें बच्चे और माता-पिता अलग हो रहे थे। अब्दुल वहीद की मृत्यु ने इस तनावपूर्ण स्थिति में मानवीय पहलू को और उजागर किया।
इस बीच, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। पहलगाम हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है, और सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।