नई दिल्ली। पाकिस्तान के लंबी दूरी की परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका ने दावा किया है कि पाकिस्तान ऐसी मिसाइलें विकसित कर रहा है, जो दक्षिण एशिया से परे, संभवतः अमेरिका तक निशाना बना सकती हैं। इस दावे के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स और तीन कराची आधारित संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए, जो शाहीन बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिकी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने इसे उभरता खतरा करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान का यह कदम उसके इरादों पर सवाल उठाता है।
पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसका परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम केवल क्षेत्रीय संतुलन के लिए है, खासकर भारत के खिलाफ। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जाहरा ने दावा किया कि पाकिस्तान की मिसाइलें केवल पड़ोसी देशों से अस्तित्व के खतरे को रोकने के लिए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता और सेना-नियंत्रित शासन व्यवस्था इसके परमाणु शस्त्रागार की सुरक्षा पर सवाल उठाती है।
वर्तमान में उसकी मिसाइलों की अधिकतम रेंज 5,500 किमी
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास 2025 तक करीब 200 परमाणु हथियार हो सकते हैं। हालांकि, पाकिस्तान के पास अभी तक कोई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) नहीं है, जो 5,500 किमी से अधिक दूरी तक मार कर सके। वर्तमान में उसकी मिसाइलों की अधिकतम रेंज 5,500 किमी है, जो अमेरिका तक नहीं पहुंच सकती।
भारत-पाक तनाव और वैश्विक सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां
अमेरिका की चिंता का कारण पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन देने का इतिहास भी है। 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और पूर्व पीएम इमरान खान के भारत के खिलाफ परमाणु धमकियों ने इन आशंकाओं को बढ़ाया है। इस बीच, भारत ने अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली, जैसे अग्नि-VI और S-400, को मजबूत किया है, जो पाकिस्तान की मिसाइलों को नाकाम कर सकती है। यह घटनाक्रम भारत-पाक तनाव और वैश्विक सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां पेश करता है।