नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि वह भारत में कांवर यात्रा मार्ग पर भोजनालयों के आगे ‘नेमप्लेट’ लिखे जाने जैसे विवादास्पद निर्देशों से अवगत था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाए जाने के बाद वे नियम वास्तव में प्रभावी नहीं थे।
इस मुद्दे को उठाने वाले एक पाकिस्तानी पत्रकार को जवाब देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि उन्होंने सभी धर्मों के लोगों के लिए समान व्यवहार के महत्व पर भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत की है। मिलर ने कहा, “हमने उन रिपोर्टों को देखा है। हमने उन रिपोर्टों को भी देखा है कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को उन नियमों के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी थी, इसलिए वे वास्तव में प्रभावी नहीं हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हम हमेशा दुनिया में सभी के लिए धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम सभी धर्मों के सदस्यों के लिए समान व्यवहार के महत्व पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ जुड़े हुए हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लगाई थी अंतरोक रोक
वर्षों से, धार्मिक स्वतंत्रता का विषय भारत और अमेरिका के बीच विवाद का विषय रहा है। भारत कई मौकों पर धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बता चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के उन निर्देशों पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था।
यूपी सरकार के इस कदम की हुई आलोचना
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी करते हुए अदालत ने कहा कि भोजनालयों को उस तरह का भोजन प्रदर्शित करने की आवश्यकता हो सकती है जो वे परोस रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम की विपक्ष के साथ-साथ केंद्र में भाजपा के सहयोगियों ने भी आलोचना की। विपक्ष ने कहा कि यह आदेश हिंदू और मुस्लिम दुकान मालिकों के बीच आर्थिक असमानता पैदा करने की कोशिश है।