नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने हाल ही में भारत की भाषाई विविधता को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को केवल दो भाषाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि तमिल सहित कई भाषाओं की जरूरत है। यह बयान तमिलनाडु के नेताओं द्वारा हिंदी भाषा के विरोध के संदर्भ में आया है।
पवन कल्याण ने तमिलनाडु के नेताओं पर पाखंड का आरोप लगाया और कहा कि वे हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करने और बॉलीवुड से आर्थिक लाभ लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाते। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि हिंदी से इतनी समस्या है, तो तमिल फिल्मों को हिंदी में डब क्यों किया जाता है? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी भाषी राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार, में तमिल फिल्मों को हिंदी में डब किया जाता है, जिससे वहां के लोग भी इन फिल्मों का आनंद ले सकें।
हमें भाषाई विविधता अपनाना चाहिए: कल्याण
कल्याण ने भाषा के प्रति नकारात्मक रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि हमें भाषाई विविधता को अपनाना चाहिए। उनका मानना है कि भाषाओं के प्रति खुले विचार रखना भारत की एकता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवल तमिलनाडु ही ऐसा राज्य है जो हिंदी को लेकर इतनी कड़ी प्रतिक्रिया देता है, जबकि अन्य राज्य इस तरह के विवाद में नहीं पड़ते।
स्टालिन ने एनईपी में तीन भाषा नीति का किया विरोध
यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में तीन भाषा नीति का विरोध किया है और इसे हिंदी थोपने का प्रयास बताया है। पवन कल्याण ने इस संदर्भ में कहा कि भारत की विविधता को बनाए रखने के लिए सभी भाषाओं को समान महत्व दिया जाना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भाषा को लेकर द्वेष रखना उचित नहीं है और यह देश की अखंडता को प्रभावित कर सकता है। उनकी राय में, भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ना चाहिए जो सभी भाषाओं को समान रूप से स्वीकार करे और हर राज्य को अपनी संस्कृति और भाषा को बनाए रखने का अधिकार मिले।