नई दिल्ली। केरल विधानसभा ने सोमवार को राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव को विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और सत्ता पक्ष ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रस्ताव पेश करते हुए केंद्र से संविधान में राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का आग्रह किया।
यही प्रस्ताव अगस्त 2023 में केरल विधानसभा में अपनाया गया था लेकिन तकनीकी कारणों से इसे दोबारा पेश करना पड़ा। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने तर्क दिया कि मलयालम में राज्य का नाम ‘केरलम’ है।
1 नवंबर को भी केरल की स्थापना
मुख्यमंत्री ने कहा, “1 नवंबर, 1956 को भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया गया था। केरल का स्थापना भी 1 नवंबर को हुआ है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही मलयालम भाषी समुदायों के लिए एक संयुक्त केरल बनाने की आवश्यकता दृढ़ता से उभरी थी। लेकिन का नाम हमारे राज्य को संविधान की पहली अनुसूची में केरल के रूप में लिखा गया है।”
उन्होंने कहा कि विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र से संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत राज्य के नाम में संशोधन करने और इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी भाषाओं में ‘केरलम’ करने का अनुरोध किया है।