बांग्लादेश में रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर को तोड़ा गया, संग्रहालय को बंद किया गया; जांच के लिए समिति गठित

ढ़ाका। बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के ऐतिहासिक पुश्तैनी घर रबींद्र कचहरीबाड़ी पर एक भीड़ ने हमला कर तोड़फोड़ की। यह घटना 8 जून को एक आगंतुक और कर्मचारी के बीच मोटरसाइकिल पार्किंग शुल्क को लेकर हुए विवाद के बाद हुई। हमले के बाद स्मारक संग्रहालय को आगंतुकों के लिए बंद कर दिया गया और जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई।

रबींद्र कचहरीबाड़ी, सिराजगंज के शहजादपुर उपजिले में स्थित है, जो टैगोर परिवार का पुश्तैनी घर और राजस्व कार्यालय था। रवींद्रनाथ टैगोर ने 1890 के दशक में यहां रहते हुए अपनी कई साहित्यिक रचनाएं लिखीं, जिनमें सोनार तोरी और चैताली शामिल हैं। अब यह एक स्मारक संग्रहालय के रूप में संरक्षित है। 8 जून को एक प्रवासी बांग्लादेशी, शाह नेवाज, अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे और पार्किंग शुल्क को लेकर कर्मचारी से बहस हो गई। कर्मचारियों ने कथित तौर पर शाह को एक कमरे में बंद कर मारपीट की।

स्थानीय लोगों ने संग्रहालय पर हमला कर दिया

इस घटना की खबर फैलने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। 10 जून को उन्होंने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध किया, जो बाद में हिंसक हो गया। भीड़ ने संग्रहालय के सभागार में खिड़कियां, दरवाजे, फर्नीचर और अन्य सामान तोड़ डाले। एक निदेशक पर भी हमला हुआ। कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भीड़ में जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम के सदस्य शामिल थे, जिन्होंने टैगोर के खिलाफ नारे लगाए, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई।

बांग्लादेश में सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा पर सवाल

घटना के बाद पुरातत्व विभाग ने तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई, जिसे पांच कार्यदिवसों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया। कचहरीबाड़ी के संरक्षक मोहम्मद हबीबुर रहमान ने बताया कि अनिश्चितकाल के लिए आगंतुकों का प्रवेश बंद कर दिया गया है। 11 जून को 50-60 लोगों के खिलाफ, जिनमें 10 नामजद हैं, मामला दर्ज किया गया। इस घटना ने बांग्लादेश में सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, खासकर जब टैगोर ने बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला लिखा था।

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