नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती की है। इसके बाद रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है। यह फैसला मई 2020 के बाद पहली बार लिया गया है। इस कदम का उद्देश्य आर्थिक विकास को गति देना और कर्ज लेने वालों को राहत देना है।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है। जब यह दर घटती है, तो बैंक भी अपनी ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं, जिससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो सकते हैं। इससे ईएमआई में कमी आने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है, तो इस कटौती के बाद उसकी मासिक ईएमआई लगभग 600-700 रुपये तक कम हो सकती है।
आनेवाले महीनों में और मिलेगी नीतिगत राहत
नवनियुक्त आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह कदम आर्थिक विकास को गति देने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए उठाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में पेश किए गए बजट में सरकारी खर्च बढ़ाने की घोषणा के साथ यह कटौती अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह को बढ़ावा दे सकती है। हालांकि, आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर नजर बनाए रखने की बात भी कही है। यदि महंगाई नियंत्रण में रहती है, तो आने वाले महीनों में और भी नीतिगत राहत मिल सकती है।