नई दिल्ली। लेखक सैम पित्रोदा ने कहा कि वह भारत और अमेरिका जैसे देशों में लोकतंत्र की स्थिति और आगे आने वाली संभावित चुनौतियों के बारे में सोचकर बहुत चिंतित थे। इसने उन्हें अपनी नवीनतम पुस्तक ‘द आइडिया ऑफ डेमोक्रेसी’ लिखने के लिए प्रेरित किया है। पित्रोदा के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल और साहित्यिक जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुई थी।
कपिल सिब्बल के साथ अपनी बातचीत में सैम पित्रोदा ने ऐसी किताब लिखने के अपने कारणों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक तब लिखी, जब कई देश 2024 में चुनाव का सामना कर रहे हैं। किताब लिखने का कारण वास्तव में अमेरिका में क्या चल रहा है, उससे संबंधित है। उन्होंने कहा कि भारत में जो चल रहा है, मैं इन दोनों देशों में लोकतंत्र की स्थिति और आगे आने वाली संभावित चुनौतियों को लेकर बहुत चिंतित हूं।
2024 में 64 देशों में चुनाव, सभी एक स्थिति से गुजर रहे: पित्रोदा
पित्रोदा ने विकासशील और विकसित देशों में समान राजनीतिक माहौल का वर्णन करते हुए कहा कि 2024 में 64 देशों में चुनाव होने हैं। विश्व की आधी से अधिक आबादी 2024 में मतदान करेगी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। इनमें से कई देश समान चुनौतियों से गुजर रहे हैं। तुर्की, हंगरी, ब्रिटेन, कुछ हद तक मेक्सिको भी ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “इनमें से कई देशों में मेरे मित्र हैं और मेरा मानना है कि समस्याएं बहुत समान हैं। सत्तासीन दल सरकार बनाने पर अधिक ध्यान दे रही है। संस्थाएं झुक रही हैं। वे अपनी स्वतंत्रता खो रहे हैं। लोगों को यकीन नहीं है कि क्या सही है, क्या गलत है क्योंकि सोशल मीडिया झूठ को बढ़ावा दे रहा है, इसलिए ये चिंताएं बढ़ी है।”
इतिहास में हमेशा कुलीन वर्ग को मिला प्रतिनिधित्व: पित्रोदा
पित्रोदा ने कहा कि यदि आप इतिहास में पीछे जाएं तो आप देखेंगे कि हमारे पास हमेशा राजा और रानी थे। वे पूरी तरह कुलीन वर्ग से संबंध रखते थे। चाहे वे भारत में काम कर रहे हों या ब्रिटेन में या फ्रांस या जर्मनी में या कहीं भी। यह सैकड़ों वर्षों तक चला और अचानक फ्रांस और रूस में क्रांति के साथ उनका सफाया कर दिया गया। अंततः ब्रिटिश राज का पतन हुआ और एक नया समूह आया।