नई दिल्ली। दिग्गज अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की सराहना की है। हालांकि उन्होंने देश भर में इस तरह के कानून को लागू करने में खामियां भी बताई। मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए अभिनेता-राजनेता ने कहा कि हालांकि वह इस तरह के कदम का समर्थन करते हैं, लेकिन इसे देश के कुछ हिस्सों में लागू करना मुश्किल होगा।
संसद के बाहर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “देश के कई हिस्सों में गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मेरा मानना है कि देश में न केवल गोमांस, बल्कि आम तौर पर मांसाहारी भोजन पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। हालांकि, कुछ स्थानों पर अभी भी गोमांस खाना वैध है, जिसमें पूर्वोत्तर भी शामिल है। वहां खाओ तो यम्मी, पर हमारे उत्तर भारत में खाओ तो मम्मी।”
#WATCH | On Gujarat Government to introduce Uniform Civil Code after Uttarakhand Government, TMC MP Shatrughan Sinha says, “Implementation of UCC in Uttarakhand, is prima facie, commendable. UCC must be there in the country and I am sure everyone will agree with me. But there are… pic.twitter.com/9jWW0VhQkU
— ANI (@ANI) February 4, 2025
हर जगह लगे प्रतिबंध: शत्रुघ्न सिन्हा
सिन्हा ने कहा, “लेकिन यह काम नहीं करेगा, केवल कुछ हिस्सों में ही नहीं, बल्कि हर जगह प्रतिबंध लागू किया जाना चाहिए।” यह कहते हुए कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन सराहनीय है, उन्होंने कहा कि यूसीसी में खामियां थीं, जो भाजपा के प्रमुख वादों में से एक है जो विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों के लिए एक ही कानून का प्रावधान करता है।
यूसीसी को लेकर सर्वदलीय बैठक हो: शत्रुघ्न सिन्हा
उन्होंने जोर देकर कहा, “यूसीसी प्रावधानों का मसौदा तैयार करने से पहले एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जानी चाहिए। इस मुद्दे पर सभी से उनकी राय और विचार लिए जाने चाहिए। यूसीसी को चुनाव या वोट बैंक की रणनीति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सावधानी से संभाला जाना चाहिए।” 27 जनवरी को उत्तराखंड भारत की आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन गया।
उत्तराखंड नागरिक संहिता सभी विवाहों के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य बनाती है। इसके प्रमुख प्रावधानों में बेटों और बेटियों के लिए समान संपत्ति अधिकार, तलाक के लिए समान आधार और लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों के लिए वैधता शामिल हैं।