नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव को उनके ‘शरबत जिहाद’ बयान के लिए कड़ी फटकार लगाई, जिसमें उन्होंने रूह अफजा निर्माता हमदर्द लैबोरेटरीज पर निशाना साधा था। कोर्ट ने कहा कि यह टिप्पणी ‘न केवल अपमानजनक, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना को झकझोरने वाली’ है। यह मामला हमदर्द की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें रामदेव के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी।
रामदेव ने अप्रैल 2025 में पतंजलि के गुलाब शरबत के प्रचार के दौरान एक वीडियो में दावा किया था कि कुछ शरबत कंपनियां अपनी आय से मस्जिदें और मदरसे बनाती हैं, जिसे उन्होंने ‘शरबत जिहाद’ करार दिया। हालांकि उन्होंने रूह अफजा का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया, लेकिन बयान को हमदर्द के खिलाफ माना गया। कोर्ट ने रामदेव के दावों को ‘निराधार और आपत्तिजनक’ बताया, जो धार्मिक भावनाओं को भड़काने और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला है।
रामदेव का बयान उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करता है: हमदर्द
हमदर्द ने तर्क दिया कि रूह अफजा, 1907 में हकीम हाफिज अब्दुल मजीद द्वारा शुरू किया गया एक ऐतिहासिक ब्रांड, भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। कंपनी ने कहा कि रामदेव का बयान उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करता है और अनुचित व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देता है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के बयान संवेदनशील धार्मिक मुद्दों का दुरुपयोग करते हैं, जो समाज में तनाव पैदा कर सकते हैं।
कांग्रेस नेता भी रामदेव के खिलाफ FIR की मांग की
रामदेव ने सफाई दी कि उन्होंने किसी ब्रांड का नाम नहीं लिया, लेकिन कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस बयान को ‘हेट स्पीच’ करार देते हुए रामदेव के खिलाफ FIR की मांग की थी। कोर्ट ने हमदर्द की याचिका पर सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया और रामदेव को भविष्य में ऐसी टिप्पणियों से बचने की चेतावनी दी। इस विवाद ने रूह अफजा की सांस्कृतिक विरासत और रामदेव की विवादास्पद टिप्पणियों पर व्यापक बहस छेड़ दी है।