नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखी गई, जब सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमशः 2564.74 और 831.95 अंकों की कमी आई। सुबह 9:24 बजे तक सेंसेक्स 72,799.95 और निफ्टी 22,072.50 पर कारोबार कर रहा था। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नई टैरिफ नीतियों को लेकर वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता थी। ट्रम्प की टैरिफ नीतियों ने वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचा दी, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प की टैरिफ नीतियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ सकता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि बाजार में अस्थिरता का कारण अनिश्चितता है और निवेशकों को ‘इंतजार और निगरानी’ की रणनीति अपनानी चाहिए। उन्होंने बताया कि ट्रम्प के टैरिफ लंबे समय तक तर्कहीन नहीं रह सकते, क्योंकि इससे वैश्विक व्यापार और विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
निर्यात-निर्भर क्षेत्रों में भारी बिकवाली देखी गई
इस गिरावट ने बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण को भी प्रभावित किया। ऑटो, मेटल और आईटी जैसे निर्यात-निर्भर क्षेत्रों में भारी बिकवाली देखी गई, क्योंकि ट्रम्प के टैरिफ से इन क्षेत्रों की आय पर असर पड़ने की आशंका है। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। वॉल स्ट्रीट पर डॉउ जोन्स, नैस्डैक और एसएंडपी 500 में क्रमशः 1100, 800 और 4% की कमी आई। एशियाई बाजारों में भी जापान का निक्केई और कोरिया का कोस्पी 2-3% नीचे बंद हुए।
वैश्विक विकास में कमी का असर भारत की वृद्धि पर
भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी मंदी का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि वैश्विक विकास में कमी का असर भारत की वृद्धि पर पड़ सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अन्य बड़े अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे घबराएं नहीं और उच्च गुणवत्ता वाली लार्ज-कैप कंपनियों में निवेश पर ध्यान दें। बाजार में अस्थिरता कुछ समय तक बनी रह सकती है, लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह अवसर भी हो सकता है।