यूपीआई सेवाएं बाधित, लाखों लोगों को हो रही परेशानी; NPCI ने कहा- ठीक करने की हो रही कोशिश

नई दिल्ली। भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सेवाओं में बड़े पैमाने पर दिक्कतें देखी गई, जो एक महीने के भीतर तीसरी ऐसी तकनीकी खराबी थी। शनिवार सुबह करीब 11:26 बजे से यूजर्स ने यूपीआई लेनदेन में समस्याओं की शिकायत शुरू की, और आउटेज ट्रैकिंग साइट डाउनडिटेक्टर के अनुसार, यह समस्या 11:40 बजे चरम पर पहुंची, जब 222 से अधिक यूजर्स ने डिजिटल भुगतान विफल होने की रिपोर्ट दी। इस घटना ने देश भर में लाखों उपयोगकर्ताओं को प्रभावित किया, जो रोजमर्रा के लेनदेन के लिए यूपीआई पर निर्भर हैं।

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने इस समस्या को स्वीकार किया और इसे हल करने के लिए काम शुरू कर दिया। एनपीसीआई ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “एनपीसीआई को वर्तमान में आंतरिक तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण यूपीआई लेनदेन आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। हम इस मुद्दे को हल करने के लिए काम कर रहे हैं और आपको अपडेट रखेंगे। असुविधा के लिए हमें खेद है।” हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह समस्या कब तक पूरी तरह ठीक होगी।

थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म्स पर भुगतान करने में कठिनाई

सोशल मीडिया पर यूजर्स ने पेटीएम, गूगल पे और फोनपे जैसे थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म्स पर भुगतान करने में कठिनाइयों की शिकायत की। एक एक्स यूजर ने लिखा, “यूपीआई आज फिर डाउन है, सभी भुगतान फेल हो रहे हैं। कम से कम अगर यह प्लांड आउटेज है तो पहले सूचना दी जानी चाहिए।”

यूजर ने पेमेंट करने में परेशानी का किया जिक्र

एक अन्य यूजर ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा, “मेरे पास नकदी नहीं थी और इस डाउनटाइम ने मुझे ऑटो वाले को किराया देने में मुश्किल में डाल दिया। हमें एक ऐसी यूपीआई व्यवस्था चाहिए जिसमें शून्य डाउनटाइम हो।” ये शिकायतें डिजिटल भुगतान पर बढ़ती निर्भरता और इसके बाधित होने पर होने वाली असुविधा को उजागर करती हैं।

यूपीआई 80% से अधिक खुदरा भुगतानों का हिस्सा

यह लगातार तीसरा मौका है जब यूपीआई सेवाओं में रुकावट आई है, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। भारत में यूपीआई 80% से अधिक खुदरा भुगतानों का हिस्सा है और जनवरी 2025 में इसके लेनदेन 16.99 बिलियन से अधिक हो गए थे। इस तरह के बार-बार होने वाले व्यवधान छोटे व्यवसायियों और आम उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ी चुनौती बन रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तकनीकी ढांचे में सुधार जरूरी है। एनपीसीआई ने आश्वासन दिया है कि वह इस समस्या को जल्द ठीक करेगा, लेकिन तब तक उपयोगकर्ताओं को वैकल्पिक भुगतान साधनों पर निर्भर रहना पड़ सकता है।

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