‘भारत पड़ोसियों को नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन बुराई के खिलाफ कार्रवाई जरूरी’, पहलगाम हमले पर बोले भागवत

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। इस हमले में 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए थे। दिल्ली में ‘द हिंदू मैनिफेस्टो’ पुस्तक के विमोचन के दौरान भागवत ने कहा कि भारत कभी अपने पड़ोसियों को नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन यदि कोई बुराई का रास्ता अपनाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई अनिवार्य है।

उन्होंने कहा, “हम अपने पड़ोसियों का अपमान या नुकसान नहीं करते, लेकिन अगर कोई गलत रास्ते पर है, तो और क्या विकल्प है? राजा का कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना।”

रावण को भी सुधरने का मौका दिया गया था: भागवत

भागवत ने हिंदू धर्म में अहिंसा को मूल सिद्धांत बताया, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि आक्रामकों का सामना करना और पराजित न होना भी धर्म का हिस्सा है। उन्होंने रामायण के रावण के उदाहरण का जिक्र करते हुए कहा कि रावण को सुधरने का मौका दिया गया, लेकिन जब वह नहीं माना, तो उसका वध करना पड़ा। भागवत ने कहा, “हमारी अहिंसा दूसरों को भी अहिंसक बनाने की है, लेकिन कुछ लोग नहीं बदलते। ऐसे में उनके खिलाफ कदम उठाना पड़ता है।”

आतंकियों ने धर्म पूछकर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया

उन्होंने पहलगाम हमले को ‘धर्म और अधर्म’ की लड़ाई करार दिया और कहा कि आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म पूछकर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया, जो हिंदू मूल्यों के खिलाफ है। भागवत ने समाज में एकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अगर समाज एकजुट रहे, तो कोई दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ भारत की ओर नहीं देखेगा। उन्होंने सनातन धर्म को सत्य, शुद्धता, करुणा और तपस्या के सिद्धांतों पर आधारित बताया और कहा कि इससे इतर कुछ भी अधर्म है।

इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी। भारत ने जवाब में सिंधु जल संधि निलंबित करने और कूटनीतिक कदम उठाने जैसे सख्त फैसले लिए हैं। भागवत ने विश्वास जताया कि भारत इस बुराई को खत्म करने के लिए मजबूत कदम उठाएगा।

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