नई दिल्ली। महाराष्ट्र की परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने अपने लिए एक अलग कार्यालय, एक कार और एक घर की मांग की थी। इन्हें सत्ता के कथित दुरुपयोग के कारण स्थानांतरित कर दिया गया था। पुणे जिला कलेक्टर के साथ उनके व्हाट्सएप चैट का पता चला है। अधिकारी ने पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले ये मांगें कीं थी।
जिला कलेक्टर ने इन असामान्य मांगों को मुख्य सचिव के समक्ष रखा था। अपनी रिपोर्ट में, उन्होंने सुझाव दिया कि पुणे में खेडकर के प्रशिक्षण को जारी रखना अनुचित होगा और उल्लेख किया कि इससे प्रशासनिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
इसके बाद अधिकारी को अपना स्वयं का कक्ष प्रदान किया गया। हालांकि, कलेक्टर की रिपोर्ट में कहा गया है कि संलग्न बाथरूम की कमी के कारण उसने इसे अस्वीकार कर दिया। खेडकर ने अपने पिता दिलीप खेडकर के साथ कार्यालय का दौरा किया और साथ में उन्होंने खनन विभाग के बगल में स्थित एक वीआईपी हॉल को अपने केबिन के रूप में उपयोग करने का प्रस्ताव रखा।
प्रशिक्षण पूरा करने के लिए वाशिम जिले में स्थानांतरण
परिवीक्षाधीन अधिकारी को बताया गया कि वह परिवीक्षा पर इन सुविधाओं की हकदार नहीं है और उसे आवास प्रदान किया जाएगा। जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद, 2023 बैच की आईएएस अधिकारी खेडकर को उनके प्रशिक्षण को पूरा करने के लिए वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया है। वह 30 जुलाई, 2025 तक ‘सुपरन्यूमेरी असिस्टेंट कलेक्टर’ के रूप में वहां काम करेंगी।
निजी कार पर महाराष्ट्र सरकार का लगा रखा था बोर्ड
वह अपनी निजी ऑडी कार में लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट भी लगाती थी और उसने अपनी निजी कार पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का बोर्ड भी लगा रखा था। इस विवाद के बाद, उनकी नियुक्ति दस्तावेजों की जांच से पता चला कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए कथित तौर पर फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र जमा किए थे।
ओबीसी और दृष्टिबाधित श्रेणियों के तहत दी थी परीक्षा
खेडकर ने ओबीसी और दृष्टिबाधित श्रेणियों के तहत सिविल सेवा परीक्षा दी। उसने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा किया। अप्रैल 2022 में, उसे अपनी विकलांगता को सत्यापित करने के लिए एम्स में चिकित्सा परीक्षण कराने के लिए कहा गया था। एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि, खेडकर ने छह अलग-अलग मौकों पर इन परीक्षाओं में शामिल होने से इनकार कर दिया।