नई दिल्ली। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक व्यक्ति के खिलाफ अपनी पत्नी को प्रसव के बाद फ्रेंच फ्राइज खाने की अनुमति नहीं देने के क्रूरता के मामले में जांच पर रोक लगा दी। मामले की सुनवाई करते हुए, कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने कहा कि व्यक्ति के खिलाफ शिकायत बिल्कुल तुच्छ थी और मामले में उसके खिलाफ जांच पर रोक लगा दी गई।
बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कथित तौर पर अपनी पत्नी को बच्चे के जन्म के बाद फ्रेंच फ्राइज खाने की अनुमति नहीं देने के लिए व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए (क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जांच की अनुमति देना कानून का दुरुपयोग: हाईकोर्ट
बार और बेंच ने मामले में न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना के हवाले से कहा, “पति के खिलाफ किसी भी जांच की अनुमति देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और पत्नी के आरोपों पर रोक लगाया जाएगा। यह एक अंतरिम आदेश होगा कि पति की सभी जांच पर रोक लगाई जाए।”
अदालत ने उस व्यक्ति को अपने काम के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने की अनुमति भी दे दी, क्योंकि उसने अदालत के समक्ष एक हलफनामा प्रस्तुत किया था कि वह अधिकारियों के साथ सहयोग करेगा।
चावल और मांस खाने से किया था इनकार
पत्नी ने आईपीसी की धारा 498ए के तहत शख्स और उसके माता-पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। कोर्ट ने पहले ही माता-पिता के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी थी। अपनी शिकायत में, उस व्यक्ति की पत्नी ने आरोप लगाया कि उसने अपने बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद उसे फ्रेंच फ्राइज, चावल और मांस खाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।”