‘पानी को कहां रखेंगे?’ पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल संधि निलंबन पर ओवैसी ने पूछे सवाल

नई दिल्ली। पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित करने के फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने समर्थन जताया, लेकिन एक अहम सवाल उठाया, “पानी को हम कहां रखेंगे?” यह बयान उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद दिया, जिसमें पहलगाम हमले पर चर्चा हुई। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे।

ओवैसी ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की और कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून भारत को आत्मरक्षा में पाकिस्तान पर हवाई और नौसैनिक नाकेबंदी करने की इजाजत देता है। उन्होंने हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध जैसे कदमों का भी सुझाव दिया। हालांकि, उन्होंने बाइसरण मीडो की घटना को सांप्रदायिक करार देते हुए इसकी निंदा की और कश्मीरियों के खिलाफ गलत प्रचार रोकने की अपील की।

भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे का महत्वपूर्ण समझौता

सिंधु जल संधि, जो 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे का महत्वपूर्ण समझौता है। इसके तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों पर नियंत्रण मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी। भारत के इस निलंबन से पाकिस्तान की कृषि और ऊर्जा क्षेत्र पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि वह सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।

ओवैसी ने सुरक्षा चूक पर भी सवाल उठाए

ओवैसी ने सुरक्षा चूक पर भी सवाल उठाए, पूछा कि बाइसरण मीडो में सीआरपीएफ क्यों नहीं थी और त्वरित प्रतिक्रिया टीम को पहुंचने में एक घंटा क्यों लगा। उन्होंने केंद्र के फैसलों का समर्थन करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय हित का मुद्दा है, न कि राजनीतिक। बैठक में जेपी नड्डा, किरेन रिजिजू, एस जयशंकर, मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी जैसे नेता शामिल थे।

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